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मैं सुलेखा

मैं सुलेखा, पुणे, महाराष्ट्र की रहने वाली हूँ। पेशे से एक अध्यापक हूँ लेकिन कभी-कभी दिल करे तो लिख भी लेती हूँ। अभी तक   बहुत से विषयों पर लिख चुकी हूँ, तो सोचा आज अपने बारे में लिखती हूँ, अपने उस काले दौर के बारे में लिखती हूँ जिसे मैं कभी सपने में भी याद नहीं करना चाहूंगी। कुछ समय पहले मेरी किडनी खराब हो गई थी, यह एक ऐसी बीमारी है जो कहने को तो एक बीमारी है लेकिन कई दिक्कतों को अपने साथ साथ लाती है। पहले मुझे इस बीमारी की कोई खासा जानकारी नहीं थी, हाँ मैंने इसके बारे कुछेक बार पढ़ा जरूर था, लेकिन यह नहीं सोचा था कि ये बीमारी मुझे भी हो सकती है। क्योंकि मैं अपना बहुत अच्छे से ख्याल रखती थी, बाहर का खाना बहुत ही कम खाती थी, अध्यापक हूँ तो नशे से दूर ही रहती हूँ। लेकिन फिर भी मुझे यह बीमारी हो गई। मेरी किडनी खराब होने के पीछे का कारण बना एंटीबायोटिक दवाएं। महिलाओं को अक्सर बदन दर्द की शिकायत रहती ही है जो मुझे भी थी, जिससे आराम पाने के लिए मैं अक्सर दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करती थी। पूरा दिन क्लास में खड़े-खड़े बच्चों को पढ़ाने के कारण कमर में दर्द होना आम सी बात हो चली थी और ...

कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली

कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से एक है , जहाँ किडनी की सभी बीमारियों का इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद के ज्ञान की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज किया है। वह किसी ऑपरेशन या ट्रांसप्लांट में विश्वास नहीं करते हैं। इसी वजह से उन्होंने अपने सभी मरीजों का बिना किसी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के ही इलाज करके , एक नया इतिहास रचा है। साथ ही यहां आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग के पालन करने सलाह देते हैं। कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली

अरुण

मेरा नाम अरुण है और मैं रोहतक का रहने वाला हूँ। मैं अपनी किडनी की समस्या से परेशान था । मुझे हाल ही में ही, पेशाब से खून आने की समस्या शुरू हुई थी। जाँच के दौरान मुझे डॉक्टर ने बताया कि यह क्रोनिक किडनी डिजीज का शुरुआती लक्षण है। मुझे इन अंग्रेजी उपचार पर कोई खास भरोसा नहीं है, इसलिए अपनी बीमारी के लिए मैंने आयुर्वेदिक उपचार की तलाश शुरू कर दी थी। एक दिन टेलीविजन देखते समय मुझे कर्मा आयुर्वेदा के बारे पता चला और मैंने बिना वक़्त बर्बाद किए फोन करके अपॉइंटमेंट ले लिया।     कर्मा आयुर्वेदा में मेरी मुलाक़ात डॉक्टर पुनीत धवन से हुई , जिन्होंने मुझे मेरी समस्या के बारे में अच्छे से समझाया। साथ ही मेरे सभी सवालों का जवाब बड़ी ही धैर्य से दिया। उन्होंने मुझे किडनी की समस्या में पेशाब से जुड़ी समस्या के बारे में विस्तार से बताया, साथ ही मेरे हाथ-पैरों में आने वाली सूजन के बारे में भी समझाया। उन्होंने मुझे आयुर्वेदिक दवाईयों के साथ-साथ एक डाइट चार्ट की सलाह दी , जो मेरी समस्या में सुधार लाने का अहम कारण बना। इलाज से पहले मेरा क्रिएटिनिन लेवल – 3.82 mg/dL था और यूरिया लेवल – ...

सविता

मेरा नाम सविता है और मैं सोनीपत की रहने वाली हूँ। कई सालों से मेरा एलोपैथिक दवाईयों से किडनी की समस्या का इलाज चल रहा था। मगर एक दिन बढ़ती समस्या को देख डॉक्टर से समझाया कि “बढ़ते क्रिएटिनिन स्तर के कारण, एक किडनी ट्रांसप्लांट करवानी पड़ेगी और उम्रभर के लिए दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा”। मैं हताश परेशान अपनी समस्या का इलाज ढूँढने लगी, तब मेरे पति को यूट्यूब के ज़रिए कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला। बिना वक़्त गवाए उन्होंने कर्मा आयुर्वेदा के 011-4777-2777 पर संपर्क करके , अपॉइंटमेंट लिया। किडनी की समस्या का इलाज कर्मा आयुर्वेदा से शुरू करवाने से पहले , मेरा क्रिएटिनिन स्तर 2.98 mg/dl था। जोड़ो में दर्द और शरीर में सूजन की समस्या से भी परेशान थी, जिस वजह से मुझे चलने-फिरने के साथ रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत आ रही थी। मगर कर्मा आयुर्वेदा से इलाज शुरू करवाने के कुछ ही समय बाद ही , मुझे अपनी सेहत में एक बेहतरीन सुधार नज़र आया , जो एक चमत्कार से कम नहीं मानती। इलाज के बाद क्रिएटिनिन स्तर घटकर 1.86 mg/dl हो गया है। किडनी की लगभग सभी समस्याओं में काफी सुधार हुआ जैसे कि शरीर में...

अजीत गायकवाड़

मेरा नाम अजीत गायकवाड़ है और मैं मुंबई, महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। अगर कोई मुझसे पूछेगा कि भगवन कहां रहता है तो मैं उसे दिल्ली का पता दूंगा। आप भी सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या बोले जा रहा हूँ। अगर आप किडनी कि बीमारी से जूझ रहे होते और सब जगह से हार मान कर डॉ. पुनीत धवन से मिले होते तो आप भी शायद यही कहते। लेकिन जो मेरे साथ हुआ वो किसी के साथ ना हो, डॉ. पुनीत धवन ने मुझे नया जीवन दिया है इसलिए उन्हें भगवन कहना गलत नहीं होगा। कुछ समय पहले कि बात है जब मेरी दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी, जब मुझे इस बारे में पता चला तो मेरे पैरों के तले से जमीन खिसक गई थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू, किस्से मदद मांगू? रोग तो मुझे हुआ था तो सहन मुझे ही करना था, लेकिन इस खबर से मेरा पूरा परिवार सदके में था। मेरे बच्चों और पत्नी इस बात को मान चुके थे कि मैं अब बस कुछ दिनों का ही मेहमान हूँ। लेकिन हमने अभी उम्मीद का दामन छोड़ा नहीं था, मुझे मेरे परिवार ने यकीन दिलाया कि हम इस बीमारी से साथ मिलकर लड़ेंगे और जीतेंगे। मैंने इस बीमारी से लड़ने कि ठानी और इसके लिए मैंने मुंबई के बड़े-बड़े होस्पि...

रोहित सिंह

मेरा नाम रोहित सिंह है और मैं उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ। अपनी जॉब के लिए मैं पिछले 2 साल से दिल्ली में रह रहा हूँ। मैं आई.टी कंपनी में नौकरी करता हूँ, जहाँ कभी भी जॉब शिफ्ट बदल जाती है। मुझे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मेरी छोटी-छोटी आदतें, मेरी किडनी ख़राब होने की वजह बन जाएगी। काम के चक्कर में कई बार देर तक बैठे रहने की आदत की वजह से मैं यूरिन करने के लिए आलस कर जाता था तो कई बार पूरा पूरा दिन पानी पीने का टाइम तक नहीं मिल पाता था। ऊपर से मेरी स्मोकिंग की आदत ने तो मेरी समस्या में चाँद चाँद लग दिए थे। अपने घर से दूर फ्लैट में रहने की वजह से अक्सर मैं बाहर से खाना खाया करता था , जो धीरे-धीरे मेरी समस्या को बढ़ा रहा था। 3 महीने पहले शाम के समय यूरिन करते समय में मुझे यूरिन के साथ खून नज़र आया , मैं बहुत घबरा गया था। मैं तुरंत बैग पैक किया और घर के लिए निकल गया , रस्ते भर मन में बहुत से सवाल चल रहे थे जिनका मेरे पास कोई जवाब नहीं था। परेशानी की वजह से मेरा गला सूखे जा रहा था और मैं पानी पिए जा रहा था। जैसे ही मैं घर पंहुचा तुरंत यूरिन पास करने गया , तो फिर से मुझे खून नज़र आया...

मुहम्मद शेख

मेरा नाम मुहम्मद शेख समद है, मैं परली, महाराष्ट्र का रहने वाला हूँ। मेरा एक छोटा सा कपड़े का शोरूम है, जो काफी अच्छा चलता है। लेकिन बीते कुछ महीनों पहले उसके बिकने की नौबत आ गई थी। आप लोग सोच रहें होंगे कि धंदे में मंदी का दौर है इसलिए ऐसा हुआ होगा। लेकिन ऐसा नहीं है, मेरी दुकान बिकने के पीछे का कारण है “किडनी”। जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा है, कुछ महीनों पहले मैं एक जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गया था, मेरी दोनों किडनियां खराब हो गई थी जिसके कारण मेरी दूकान बिकने की नौबत तक आ गई थी। दरअसल हुआ यूँ कि दूकान पर संभालने में मैं इतना मशरूफ हो गया था की अपनी सेहत की ओर कोई ध्यान ही नहीं रख पा रहा था। खाना अक्सर बाहर से आता था, रोज़ तला हुआ और मसालेदार खाने का आदि हो चूका था। जिससे पेट में अक्सर दर्द रहता था, जिसे में दवा और कुछ छोटे मोटे तरीकों से ठीक कर लेता था। इतना भर तो ठीक था, लेकिन रात को अक्सर दूकान बढ़ाने के समय कई दोस्त दुकान पर आते थे और देर रात तक शराब पीते थे। मैं शराब पीने का एकदम आदि हो चूका था। रोज़ बाहर का खाना खाने और रात को खूब शराब पीने के कारण मेरी तबियत अक्सर नासाज़ रहने लगी थी...