डायलिसिस क्या है?
किडनी खराब होने में एक लम्बा समय लगता है जिसमे महीनों से
लेकर वर्षों तक का समय लग सकता है, शायद इसी
कारण क्रोनिक किडनी रोग को साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है. किडनी खराब
होने की खबर पाते ही लोग अक्सर एलोपैथी उपचार का चयन करते है, लेकिन
वर्तमान समय में एलोपैथी द्वारा खराब हुई किडनी को पुनः ठीक करना संभव नहीं है.
एलोपैथी उपचार में किडनी फेल्योर से छुटकारा पाने के लिए डायलिसिस का सहारा लिया
जाता है, जोकि किडनी को स्वस्थ करने की एक नाकाम कोशिश है.
डायलिसिस क्या है?
एलोपैथी उपचार में किडनी को ठीक करने का
केवल एक ही उपचार मौजूद है “डायलिसिस”. डायलिसिस रक्त छानने की एक कृत्रिम क्रिया है, जो शरीर से अपशिष्ट उत्पादों और अन्य विषाक्त तत्वों शरीर से
बाहर निकालने में मदद करता है। जो
किडनी रोगी एलोपैथी उपचार का चयन करते हैं उनको अंतिम चरण में रोगी को डायलिसिस
जैसे जटिल उपचार से गुजरना पड़ता है, इसके अलावा जिन लोगो की किडनी मधुमेह के कारण खराब होती है उनको सबसे अधिक
बार डायलिसिस से गुजरना पड़ता है. किडनी खराब होने पर शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और रक्त
मात्रा कम हो जाती है. डायलिसिस द्वारा इन दोनों का संतुलन बनाने की कोशिश की जाती
है। डायलिसिस किडनी फेल्योर का सफल उपचार नहीं है, बल्कि यह सिर्फ रोगी को राहत भर देने का एक कृत्रिम उपचार है। हर
किडनी रोगी इस उपचार को सहन नहीं कर पाटा, क्योंकि यह उपचार काफी पीड़ादायक होता है. इसी कारण चिकित्सक रोगी की
स्थिति को देखते हुए ही डायलिसिस करवाने की अवधि निश्चित करता है.
क्या डायलिसिस से खराब
किडनी ठीक हो सकती है?
अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि क्या
डायलिसिस से किडनी फेल्योर का उपचार किया जा सकता है? तो इसका जवाब है नहीं! ऐसा बिलकुल नहीं है, डायलिसिस किडनी की विफलता का कोई सफल समाधान नहीं है। कितनी
बार भी डायलिसिस करवाने के बाद भी खराब हुई किडनी को फिर से स्वस्थ नहीं किया जा
सकता। यह एक कृत्रिम उपचार है जो मशीन की मदद से रक्त को शुद्ध करता है जब किसी
व्यक्ति की किडनी ऐसा करने में सक्षम नहीं होती है। डायलिसिस सिर्फ एक अस्थायी
उपचार है जो किडनी को कुछ कार्य के लायक बनाता है। इस प्रक्रिया को एक सुधार भी
कहा जा सकता है, जो केवल कुछ समय के लिए किडनी की विफलता
के लक्षणों के लिए एक ठहराव के रूप में काम करता है। लेकिन फ़िलहाल दुनिया का बहुत
बड़ा तबका डायलिसिस से होने वाली परेशानियों से फ़िलहाल अनजान है.
बिना डायलिसिस के किडनी
को कैसे ठीक करें?
आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति को बीमार
होने के बाद उपचार देने से अच्छा है कि व्यक्ति की जीवनशैली को स्वस्थ कर उसे
बीमारी होने से ही रोका जाए। आयुर्वेदिक उपचार द्वारा विफल हुई किडनी को स्वस्थ
करते समय डायलिसिस जैसे जटिल उपचार का सहारा नहीं लिया जाता। डायलिसिस रक्त शोधन
की एक कृत्रिम क्रिया है, इसे एलोपैथी उपचार के दौरान प्रयोग किया
जाता है। जबकि आयुर्वेदिक उपचार में कुछ खास जडी-बुटीयों का प्रयोग कर किडनी को
स्वस्थ किया जाता है। किडनी फेल्योर जैसी गंभीर समस्या के आयुर्वेदिक उपचार में
कुछ निम्नलिखित औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है –
पुनर्नवा – पुनर्नवा का वैज्ञानिक नाम बोरहैविया डिफ्यूजा
है। यह औषधि रक्त शुद्ध करने में सहायता करती है। किडनी खराब होने के दौरान, वह रक्त शुद्ध करने में समर्थ नहीं होती।
गोरखमुंडी – किसी व्यक्ति को अगर किडनी संक्रमण हो जाता है, तो उसे बार-बार पेशाब आने लगता है। साथ ही रोगी को पेशाब मे
जलन, गंधदार पेशाब आने लगता है और पेशाब मे
रक्त आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए
गोरखमुंडी काफी असरदार साबित हुई है।
गोखरू – गोखरू को गोक्षुर नाम से भी जाना जाता है। गोखरू
वात-पित्त को संतुलित, सूजन, दर्द को कम करने में मददगार होती है। यह मूत्राशय संबंधी
रोगों में भी लाभकारी है। किडनी की पथरी में गोखरू काफी लाभकारी है। साथ ही यह
औषधि शक्तिवर्द्धक और स्वादिष्ट होती है।
किडनी फेल्योर के लिए
आयुर्वेदिक उपचार :-
अगर आप भी किडनी फेल्योर जैसी गंभीर
बीमारी से जूझ रहें हैं तो आपको भी आयुर्वेदिक उपचार लेना चाहिए. आयुर्वेदिक उपचार
के लिए आप कर्मा आयुर्वेदा से संपर्क कर सकते हैं.
"कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद
के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी
गंभीर बीमारी का सफल इलाज करता है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय
आयुर्वेद के सहारे किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय
में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने
केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त
मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का
इस्तेमाल किया जाता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी
ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं।
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