किडनी के लिए खास औषधि है अर्जुन वृक्ष


अर्जुन का पेड़ गुणों से भरा हुआ है, इसी कारण इसका वर्णन आयुर्वेद में मिलता है। अर्जुन पेड़ की छाल, फल, बीज, पत्ते कई औषधीय गुणों से भरपूर है। अर्जुन का पेड़ भारत में विशेषकर हिमालय की तराई बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली हिमाचल, और मध्य प्रदेश  के जंगलों में और नदी-नालों के किनारे पंक्तिबद्ध लगा हुआ पाया जाता है। यह पेड़ सदाबहार है, उत्तर भारत में अधिक पाया जाता है। इसे अलग-अलग भाषा और प्रांत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे संस्कृत में ककुभ, हिन्दी- अर्जुन, मराठी- अर्जुन सादड़ा, गुजराती- सादड़ो, तेलुगू- तेल्लमद्दि, कन्नड़- मद्दि, इंग्लिश- अर्जुना और लैटिन- टरमिनेलिया अर्जुन (Terminalia arjuna)। इसके साथ-साथ इसे धवल, कुकुभ तथा नाडिसार्ज नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम टरमिनेलिया अर्जुना है। 

अर्जुन के पेड़ ऊंचाई 25 मीटर तक होती है, इसकी छाल चिकनी और स्लेटी रंग की, पत्तियां 5-14 × 2-4.5 cm तक की होती हैं और इसका आकार अंडाकार होता है। इसके पत्ते देखने में अमरुद के पत्तों के सामान होते हैं। इस पेड़ का फल एकदम खट्टे-मीठे अमरख की भांति दिखाई पड़ता है, इसी कारण इसकी पहचान आसानी से हो जाती है।  इसके फल कच्चेपन में हरे तथा पकने पर लाल-भूरे रंग के होते हैं। । औषधि की तरह, अर्जुन के पेड़ की छाल को चूर्ण, काढा, क्षीर पाक, अरिष्ट आदि की तरह लिया जाता है।
अर्जुन की छाल है विशेष :-
वैसे तो अर्जुन का पूरा पेड़ ही एक आयुर्वेदिक औषधि है। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा औषधिक गुण इसकी छाल में मिलते हैं। इसकी छाल में पाए जाने वाले गुणों के कारण यह हमें कई रोगो से बचा कर रखती है। अर्जुन की छाल में करीब 20-24% टैनिन पाया जाता है। छाल में बीटा-सिटोस्टिरोल, इलेजिक एसिड, ट्राईहाइड्रोक्सी ट्राईटरपीन, मोनो कार्बोक्सिलिक एसिड, अर्जुनिक एसिड आदि भी पाए जाते हैं। पेड़ की छाल में पोटैशियम, कैल्शियम, मैगनिशियम के तत्व भी पाए जाते हैं।
अर्जुन पेड़ की छाल हमे दिल से संबंधित रोगो के साथ-साथ रुधिर विकारों, पित्त, कफ, विष, प्रमह, घाव आदि से जुड़े रोगो से भी बचती है। इसकी छाल तासीर में ठंडी होती है इसी कारण अर्जुन की छाल के प्रयोग से पित्त की अमलता कम होकर रक्त में स्थिरता उत्पन्न होती है । इसकी छाल बहार से सफ़ेद और भूरे रंग की होती है, अंदर से चकनी, मोटी और हल्के गुलाबी रंग की होती है।
किडनी को रोगो से बचाएं अर्जुन की छाल :-
अर्जुन की छाल हमें कई ऐसे रोगो से बचती है जो समय के साथ जानलेवा बन सकते हैं। साथ ही कुछ ऐसे भी रोग जो कई रोगो को आमंत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए मधुमेह। एक बार जिस व्यक्ति को मधुमेह हो जाए तो उस व्यक्ति का शरीर बीमारियों का घर बन जाता है उसे उच्च रक्तचाप की समस्या से लेकर किडनी अटक हो सकता है। अर्जुन की छाल हमें उन रोगो से बचती है जिनसे भविष्य में हमारी किडनी ख़राब हो सकती है। तो आइये जानते हैं किडनी रोग में अर्जुन की छाल के फायदें
मधुमेह
किडनी ख़राब होने का सबसे बड़ा कारण मधुमेह होता है। मधुमेह रोगी की ख़राब किडनी को पुनः ठीक करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में आप अर्जुन की छाल और देसी जामुन के बीज से बने चूर्ण का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप छाल और जामुन के बीजों के चूर्ण को सामान मात्रा में मिला लें इस चूर्ण का रात को सोते समय आधा चम्मच हल्के गुनगुने पानी के साथ लें। इसके अलावा अर्जुन की पेड़ की चाल, कदम्ब की छाल, देसी जामुन की छाल तथा अजवाइन इन चारों को बराबर मात्रा में मिला कर इसे मोटा-मोटा कूट लें। हो सके तो मिक्सी आदि का प्रयोग ना करे इसे हाथों से ही तैयार करे। चूर्ण तैयार होने के बाद तीन से चार सप्ताह तक प्रतिदिन 24 ग्राम चूर्ण को आधा लीटर पानी में उबाल लें। लगभग एक गिलास से काम पानी बचने पर इसे छान कर ठंडा होने पिये। कुछ ही दिनों में आपका मधुमेह खत्म हो जायगा। यह एक अचूक उपाय है।

उच्च रक्तचाप -  लगातार बढ़ता रक्तचाप रोगी को कई परेशानियों में दाल सकता है। इसके लगातार बढ़ने से किडनी के साथ-साथ दिल पर भी बुरा असर पड़ता है। उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए अर्जुन की छाल से बानी चाय का सेवन करना चाहिए। या फिर आप छाल से बने चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करे। कुछ समय बाद आपका उच्च रक्तचाप नियंत्रण में आने लगेगा ।

मोटापा -  मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। एक बार होने के बाद इसे नियंत्रित करना बड़ा मुश्किल होता है। मोटापे से जल्द निजात पाने के लिए अर्जुन के पेड़ की छाल से बने काढ़े का सुबह शाम सेवन करना छाइये। केवल महीने भर में अर्जुन पेड़ छाल काढ़ा सेवन करने से असर दिखने लगते हैं। 

किड़नी स्टोन -  किडनी स्टोन काफी पीड़ादायक होता है। किडनी स्टोन का डरतड इतना तेज़ होता है की रोगी से इसे सहन करना असंभव होता है। अर्जुन की छाल से हम किडनी स्टोन से मुक्ति पा सकते हैं। इसके लिए आप अर्जुन की छाल और जौं को लगभग बराबर हिस्सों में मिला उबाल कर काढ़ा तैयार कर लें। दिन में एक बार इसका सेवन करे। जल्द ही आपकी किडनी स्टोन घटने लगेगा।

पेशाब संक्रमण -  पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना, पेशाब संक्रमण होने पर रोज सुबह अर्जुन छाल के काढ़े से रोगी को काफी फायदा होता है। इसके साथ   गुर्दे या मूत्राशय की पथरी को निकालने में भी मदद करती है। काढ़ा बनाने के लिए आप दो कप पानी में एक चम्मच छाल से बना पाउडर डालकर उबाल लें। जब आधा कप पानी शेष बचें, तब उतारकर छान लें और रोगी को पिला दें। लाभ होने तक दिन में एक बार पिलाएं। यह एक मूत्रवर्धक औधषि है।

सूजन -  शरीर के का हिस्सों में अक्सर सूजन आ जाती है। जो काफी बार पीड़ादायक भी हो जाती है। किडनी ख़राब होने पर भी शरीर में सूजन आ जाती है। अर्जुन की छाल शरीर में होने वाली हर सूजन को कम करने में फायदेमंद है। सूजन को दूर करने के लिए आप 10 ग्राम अर्जुन की छाल के बारीक़ पाउडर को दूध में उबाल लें, हो सके तो गाय के दूध का ही प्रयोग करे। जब यह लगभग तीन ग्राम बच जाएं उसे रोगी की खिलाएं। ऐसा करने से दिल के साथ शरीर की सूजन कम होने लगती है। शरीर के बाकि अंगों के लिए आप इसे पानी में उबाल कर भी पी सकते हैं।

हृदय विकार - अर्जुन की छाल हृदय से जुड़े रोगो के लिए एक विशेष औषधि है। इसके सेवन से हम हृदय विकारों से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। इससे  हृदय की संकुचित या तीर्व धड़कन संतुलन में आने लगती है। यह स्ट्रोक के खतरे को कम करती है। साथ यह हृदय की मांसपेशिओं को भी मजबूत रखने में मदद करता है।  अर्जुन क्षीर पाक का सेवन हृदय को पोषण देता है और उसकी रक्षा करता है। यह हृदय को बल देता है तथा रक्त को भी शुद्ध करता है। यह दिल में आने वाली सूजन से भी हमे मुक्ति प्रदान करता है। दिल की सूजन बहुत खतरनाक होती है, इसके होने पर तुरंत उपचार लेना चाहिए। दिल को स्वस्थ रखने के लिए आप अर्जुन की छाल और जंगली प्याज को सामान मात्रा में लकर इसका चूर्ण बना ले। इस चूर्ण का सेवन प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ करना चाहिए, हो सके तो गाय का दूध लें।

कोलेस्ट्रोल - कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए वैसे तो बाजार में कई दवाएं उपलब्ध है। लेकिन अर्जुन की छाल कोलेस्ट्रोल कम करने के लिए एक अचूक उपाय है। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप एक चम्मच अर्जुन की छाल के पाउडर को दो गिलास पानी के साथ तब तक उबालें जब तक वह आधा ना रह जाएँ। इस पानी को छानकर ठंडा कर प्रतिदिन सुबह-शाम 1-2 गिलास पिएँ। इससे ब्लॉक हुई धमनिया खुल जाएँगी और कोलेस्टरॉल भी कम हो जाएगा।
क्या अर्जुन की छाल से नुकसान भी हो सकता है?
औषधि कितनी भी असरदार क्यों ना हो लेकिन कई बार वह नुकसान करने लग जाती है। इसलिए हर औषधि का देखभाल कर कुछ सावधानियों के साथ ही प्रयोग करना चाहिए। आइये जानते हैं अर्जुन से जुडी कुछ सावधानियों को -
  • गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलों को इसका सेवन करना एक दम निषेध है। साथ ही छोटे बच्चों को इसका सेवन ना कराएं।
  • किसी प्रकार की सर्जरी के दौरान इसका सेवन ना करे।
  • इसके फल और बीज के सेवन से बचे। यह आपके पेट को ख़राब कर सकता है। इससे आपको उल्टी दस्त लग सकते हैं। 
  • क्योंकि अर्जुन छाल रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है, इसलिए जो लोग बीपी और मधुमेह के लिए दवा का सेवन कर रहें है उन लोगों को एहतियात रखने के लिए अधिक खुराक के सेवन से बचने की जरूरत है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार:-
कर्मा आयुर्वेद में प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेद की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही विफल हुई किडनी का सफल इलाज किया जाता है। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही आपको बता दें कि डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।


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