किडनी डिजीज के जोखिम को कम करने के 5 तरीके!
किडनी हमारे शरीर में एक छोटा सा अंग है, जो शरीर से बेकार चीजों को बाहर निकालने के लिए किडनी
बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही किडनी शरीर से इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित
रखती है और हार्मोन बनने की प्रक्रिया में भी मदद करती है। किडनी शरीर में सीने की
हड्डियों के नीचे रीढ़ के दोनों ओर दो छोटे से अंग में स्थिति होती है। वैसे
अधिकतर अच्छा आहार लेने और पर्याप्त पानी पीने से आपकी किडनी ठीक रहती है। स्वस्थ
किडनी रक्त को साफ करती है और बेकार पदार्थों को यूरिन के जरिए शरीर से बाहर
निकालती है। अगर किडनी अपने इन कार्य को सही से न करें, तो शरीर में कई समस्याएं पैदा हो सकती है जैसे - किडनी स्टोन, इंफेक्शन, सिस्ट, ट्यूमर आदि होना और तब
किडनी अपना काम करना बंद कर देती है, इसलिए इन 5 जोखिम का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है जैसे कि -
1.
ब्लड शुगर को सामान्य
रखें – डायबिटीज और हाई ब्लड शुगर जैसी समस्याओं की वजह से किडनी को नुकसान पहुंच
सकता है, क्योंकि जब आपके शरीर की
कोशिकाएं ब्लड में मौजूद ग्लूकोज का इस्तेमाल नहीं कर पाती, तो इससे किडनी को रक्त को साफ करने के लिए अतिरिक्त काम
करना पड़ता है। अगर आप सालों साल यह प्रक्रिया चलती है तो इससे जानलेवा खतरा बढ़
सकता है। साथ ही अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें। इससे किडनी को नुकसान होने के
खतरे कम हो जाते हैं।
2.
ब्लड प्रेशर सीमित रखें – ब्लड प्रेशर बढ़ने से
किडनी पर इसका दबाव पड़ता है, इसलिए हो सके तो समय-समय पर अपना बीपी चेक करवाते रहे। लेकिन अगर आपको
ब्लड प्रेशर है या ज्यादा, तो बेहतर है कि आपको डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही किडनी को नुकसान
पहुंचाने वाले कारकों में यह एक अहम वजह है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ब्लड
प्रेशर होने के बावजूद कोई संकेत दिखाई नहीं देते हैं और इससे समस्या गंभीर रूप ले
लेती है। अगर आप इससे बचना चाहते है तो समय पर अपना चेकअप करवाते रहे।
3.
शरीर में पानी की कमी
होने न दें – यदि आपके शरीर में कभी भी पानी की कमी न होने दें। लेकिन यह जरूर ध्यान
रखें कि, अतिरिक्त पानी पीना शरीर
के लिए सही नहीं है। यह जानकर आपको हैरानी होगी कि, अब तक किसी भी रिसर्च ने यह साबित नहीं किया है कि, अतिरिक्त पानी पीने से किडनी अपना काम बेहतर तरीके से
करती है। साथ ही शोध के मुताबिक, शरीर की आवश्यकता अनुसार पानी पिए। परे दिन में 4 से 6 गिलास पानी पीना
आपकी किडनी के लिए उपयुक्त हो सकता है।
4.
धूम्रपान न करें – धूम्रपान करने से रक्त
वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे किडनी में रक्त प्रवाह कम होता है। यदि किडनी में रक्त प्रवाह सही न
हो तो, इससे किडनी की कार्य
प्रणाली प्रभावित हो सकती गै। धूम्रपान हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को भी बढ़ाती है, जिससे किडनी का कैंसर होने की आशंका बढ़ती है। धूम्रपान
न करें।
5.
शारीरिक तौर पर स्वस्थ
रहे – किडनी को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आप नियमित और शारीरिक रूप से
सक्रिय रहें। आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। इससे लंबे समय से चल रही किडनी की
समस्या के जोखिम भी कम होता है। साथ ही ब्लड प्रेशर कम होता है और दिल स्वस्थ रहता
है। यह दोनों कारण आपकी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि, आपको किसी एक्सपर्ट की तरह एक्सरसाइज नहीं करनी है. आप इसकी बजाए वॉकिंग, रनिंग, साइकिलिंग और डांसिंग जैसी गतिविधियां कर सकते हैं। उन शारीरिक गतिविधियों
को एक्सरसाइज के तौर पर चुने। जिसे करें से आपको मजा आए और इसे नियमित रूप से करना
आसान हो जाता भी है।
किडनी डिजीज में अन्य
चीजों का भी ध्यान -
किडनी डिजीज के मरीजों में पानी, नमक, पोटेशियम युक्त आहार और
खाद्य पदार्थ आदि अधिक मात्रा में लेने पर भी कई बार गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो
सकती है। किडनी फेल्योर के केस में किडनी सही से काम नहीं कर पाती, जिससे किडनी पर काफी बोझ पड़ता है। शरीर में पानी, नमक और क्षारयुक्त पदार्थ की उचित मात्रा बनाए रखने के
लिए आहार में जरूरी परिवर्तन करना आवश्यक है। किडनी फेल्योर के सफल उपचार में आहार
के महत्व को ध्यान में रखना चाहिए।
·
आहार में अधिक नमक खाना
- शरीर को काम करते रहने के लिए सोडियम या नमक की जरूरत
होती है। बहुत से लोग भोजन में नमक अधिक मात्रा में लेते हैं या दिनभर स्नैक्स
खाते रहते है। इससे रक्तचाप बढ़ सकता है और किडनी पर दबाव पड़ने से वह अपने कामों
को ठीक से नहीं कर पाती है।
·
चीनी अधिक लेना - एक रिसर्च के मुताबिक, दिन में 2 या 3 से अधिक मीठे ड्रिंक्स लेने से मूत्र में प्रोटीन जाने की
संभावना अधिक बढ़ जाती है। मूत्र में प्रोटीन जाना किडनी की सेहत के लिए बुरा
संकेत है, इसलिए नमक की तरह ही
चीनी को भी संतुलित मात्रा में लेना चाहिए।
·
यूरिन को रोकना - बहुत से लोग कई बार अपने कामकाज में अटके रहने की वजह से मूत्र रोकने
लगते हैं। ऐसे में बार-बार मूत्र रोकने से यूरिनरी सिस्टम (Urinary system) में प्रेशर बढ़ने लगता
है। इससे किडनी स्टोन से लेकर किडनी फेल होने तक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए मूत्र
को रोकने की कोशिश न करें।
·
अधिक एनिमल प्रोटीन लेना
- लाल मीठ में अधिक प्रोटीन होता है इसका अधिक सेवन
किडनियों पर मेटाबोलिक प्रेशर बनने लगता है। भोजन में जरूरत से ज्यादा प्रोटीन
लेने से किडनी को अधिक काम करना पड़ता है और इससे उनके काम करने की क्षमता खराब हो
सकती है या उन्हें नुकसान भी पंहुच सकता है।
·
नींद पूरी न होना - रात में एक अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी है। लंबे समय से कम सोने की आदत
कई प्रकार के रोगों को जन्म देती है और इस लिस्ट में किडनी से जुड़े रोग भी होते
हैं। रात को नींद के समय हमारा शरीर किडनी के टिशूज़ में आई गड़बड़ियों को रिपेयर
करता है। अपनी नींद को नजरअंदाज न करें और किडनियों को सेल्फ-रिपेयर करने का मौका
दीजिए। ऐसा भरपूर नींद लेने से सभव हो पाएगा।
·
अधिक कॉफी पीना - कॉफी में अधिक कैफीन होता है। इसे लेने से ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है
और इससे किडनी पर प्रेशर पड़ता है। कॉफी का हद से ज्यादा सेवन करना किडनी को
नुकसान पहुंचा सकता है।
·
पेनकिलर्स ज्यादा लेना - बहुत से लोग मामूली दर्द या तकलीफ में बार-बार पेनकिलर्स लेने लगते है, लेकिन प्राकृतिक उपायों से इस दर्द को कंट्रोल किया जा
सकता है। पैरासिटामोल (Paracetamol) और डिक्लोफीनेक (Diclofenac) जैसे पेनकिलर्स को अपनी मनमर्जी से लेने से किडनी में खराबी आ सकती है।
·
अल्कोहल लेना - आजकल शराब या बीयर पीना एक कल्चर बनता जा रहा है। लेकिन सभी को यह मालूम
होना चाहिए कि शराब में केमिकल और टॉक्सिन होते हैं और इसे पीने से किडनी और लीवर
दोनों को ही गंभीर नुकसान पहुंचता है।
किडनी के टिशूज को हेल्दी बनाए रखने के लिए नेचुरल फूड
जैसे सब्जियां और फल का सेवन करें। साथ ही ऊपर बताई गई कारणों को ध्यान में रखें
और अपनी आदतों को कंट्रोल में करें। ऐसा करने से आप किडनी की बीमारी से मुक्त
रहेंगे।
आयुर्वेद में छुपा है
किडनी की बीमारी का इलाज -
आयुर्वेद लगभग 5 हजार वर्ष पहले भारत में शुरू हुआ था।
जो काफी लंबे समय का विज्ञान है और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी
प्रणाली है जिसमें औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों के गंभीर विचार शामिल है। आयुर्वेद
ने दुनिया भर की मानव जाति का संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक विकास किया है। यह चिकित्सा की अनुपम और अभिन्न शाखा
है। साथ ही यह प्रणाली आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ का नियंत्रित करने पर निर्भर करती है।
आयुर्वेद में पुनर्नवा, कासनी, शिरीष, गुदुची, गोखरू, पलाश, त्रिफला और वरूण आदि जैसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया
जाता है। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है, लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर पुनीत
धवन से जरूर संपर्क करें। क्योंकि किडनी की अलग-अलग बीमारियों में अलग-अलग
जड़ी-बूटियां काम आती है।
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