किडनी डिजीज में रोगियों के लिए खास बातें
किडनी खून में मौजूद विकारों को छान कर साफ करती है और शरीर को
स्वच्छ रखती है। रक्त को साफ कर पेशाब बनाने का कार्य भी किडनी के द्वारा ही पूरा
होता है। किडनी खून में उपस्थित अनावश्यक कचरे को पेशाब मार्ग से शरीर से बाहर
निकाल देती है। फिल्टर पेशाब के माध्यम से शरीर के गंदे और हानिकारक पदार्थ जैसे
पेशाब, क्रिएटिनिन और अनेक प्रकार के अम्ल
बाहर निकल जाते हैं। साथ ही किडनी लाखों छलनियों तथा लगभग 140
मील लंबी नलिकाओं से बने होते हैं। किडनी में उपस्थित नलिकाएं छने
हुए द्रव में से जरूरी चीजों जैसे सोडियम, पोटेशियम,
कैल्शियम आदि को दोबारा सोख लेती है और बाकी अनावश्यक पदार्थों को
पेशाब के रूप में बाहर निकाल देती है। किसी खराबी की वजह से अगर एक किडनी कार्य
करना बंद कर देती है तो इस स्थिति में दूसरी किडनी पूरा कार्य संभाल लेती है।
किडनी की बीमारियों के प्रकार -
किडनी डिजीज बेहद गंभीर और खतरनाक होता है। किडनी डिजीज जो
ठीक नहीं हो सकते हैं, उनके अंतिम स्टेज के उपचार जैसे - डायलिसिस
और किडनी ट्रांसप्लांट बेहत महंगे होते हैं। यह हर जगह उपलब्ध नहीं होते हैं और
बहुत से लोगों का अपनी जान गवांनी पड़ती है, इसलिए
आज हम किडनी फेल्योर मरीजों के दैनिक आहार के बारे में जानेंगे,
जिसे अपनाकर वह अपनी किडनी को हेल्दी रख सकते हैं।
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एक्यूट किडनी डिजीज - किडनी की कार्यक्षमता में अचानक आई कमी या नुकसान को किडनी फेल्योर, एक्यूट किडनी डिजीज या एक्यूट किडनी इंजरी भी कहते हैं। बहुत लोग एक्यूट किडनी डिजीज से ग्रस्त है। उनमें यूरिन की मात्रा कम हो जाती है। ए.के.डी. होने पर मुख्य कारण बार-बार दस्त-उल्टी का होना, मलेरिया, रक्त का दबाव अचानक कम हो जाना, सेपसिस होना, कुछ दवाओं का सेवन जैसे पेन किलर आदि है। कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार की मदद से खराब हुई दोनों किडनी संपूर्ण तरह से काम करने लगती है।
एक्यूट किडनी डिजीज - किडनी की कार्यक्षमता में अचानक आई कमी या नुकसान को किडनी फेल्योर, एक्यूट किडनी डिजीज या एक्यूट किडनी इंजरी भी कहते हैं। बहुत लोग एक्यूट किडनी डिजीज से ग्रस्त है। उनमें यूरिन की मात्रा कम हो जाती है। ए.के.डी. होने पर मुख्य कारण बार-बार दस्त-उल्टी का होना, मलेरिया, रक्त का दबाव अचानक कम हो जाना, सेपसिस होना, कुछ दवाओं का सेवन जैसे पेन किलर आदि है। कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार की मदद से खराब हुई दोनों किडनी संपूर्ण तरह से काम करने लगती है।
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क्रोनिक किडनी डिजीज - यह
बीमारी कई महीनों और सालों से किडनी की कार्यक्षमता में कमी और धीमी गति से
अपरिवर्तनीय नुकसान होता है। इसे क्रोनिक किडनी डिजीज यानि सी.के.डी. कहते हैं।
क्रोनिक किडनी डिजीज में किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे लगातार कम होने लगती है।
तब एक लंबी अवधि के बाद पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है। इस बीमारी की यह दशा
जीवन के लिए खतरनाक होने पर उसे क्रोनिक किडनी डिजीज की अंतिम स्थिति कहते हैं।
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पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज -
किडनी डिजीज में पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज यानि पी.के.डी. सबसे अधिक पाए जानेवाली
बीमारी है। इस रोग में मुख्य असर किडनी पर होता है। दोनों किडनी में बड़ी संख्या
में सिस्ट बन जाती है। क्रोनिक किडनी डिजीज के मुख्य कारणों में एक कारण पॉलीसिस्टिक
किडनी डिजीज भी होता है। किडनी के अलावा कई मरीजों में ऐसी सिस्ट लीवर,
तिल्ली, आंतों और दिमाग की नली में भी दिखाई
देती है। पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज स्त्री या पुरूष और अलग-अलग हो जाती और देशों के
लोगों में एक जैसी ही समस्या होती है।
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नेफ्रोटिक सिंड्रोम - नेफ्रोटिक
सिंड्रोम एक आम किडनी की बीमारी है। जिसमें पेशाब में प्रोटीन का जाना,
रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी होना, कोलेस्ट्रॉल
का उच्च स्तर होना और शरीर में सूजन से इस बीमारी के लक्षण का पता चलता है। साथ ही
किडनी के इस रोग की वजह से किसी भी उम्र के व्यक्ति के शरीर में सूजन आ सकती है।
वैसे यह रोग ज्यादातर बच्चों में देखा जाता है। उचित उपचार से रोग पर नियंत्रण
होना और बाद में शरीर पर सूजन दिखाई देना।
अगर आप इन बीमारियों बचना चाहते हैं तो बस अपनी किडनी को स्वस्थ जरूर
रखें। साथ ही नीचे दी हुई जानकारी से आप अपनी की को स्वस्थ बनाएं रख सकते हैं।
लेकिन उससे पहले डॉक्टर से जांच जरूर करवाएं।
किडनी फेल्योर होने के लक्षण -
किडनी डिजीज में किडनी की कार्यक्षमता में अचानक रुकावट होने से
अपशिष्ट उत्पादकों का शरीर में तेजी से संचय होता है एंव पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स
के संतुलन में गड़बड़ी आने लगती है। इन कारणों से रोगी में किडनी की खराबी के
लक्षण तेजी से विकसित होते हैं। यह लक्षण अलग-अलग मरीजों में विभिन्न प्रकार के कम
या अधिक मात्रा में हो सकते हैं जैसे –
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भूख कम लगना
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मतली और बार-बार उल्टी होना
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किडनी फेल्योर में दोनों किडनी की
कार्यक्षमता अल्प अवधि में थोड़े दिनों के लिए कम हो जाती है
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यूरिन का कम होना या बंद हो जाना
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सांस फूलना
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उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
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चेहरे, हाथ
और पैरों में सूजन
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दस्त, अत्यधिक
रक्तस्त्राव, रक्त की कमी, तेज
बुखार
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हाई ब्लड प्रेशर से सांस लेने में तकलीफ,
सीने में दर्द, मांसपेशियों
में ऐंठन या झटके, रक्त की उल्टी होना,
असामान्य दिल की धड़कन और कोमा जैसे गंभीर जानलेवा लक्षण आदि
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कमजोरी महसूस होना,
उनींदा होना, स्मरणशक्ति
कम हो जाना आदि
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रक्त में पोटेशियम की मात्रा में
वृद्धि होना
आज हम इसी में से एक गंभीर लक्षण यानी पैरों की सूजन के बारे में बात
करने जा रहे हैं, क्योंकि अधिकतर लोग इस बात से अंजान है
कि, पैरों की सूजन किसी गंभीर बीमारी का
संकेत भी बन सकता है।
किडनी डिजीज में होने वाली जांच -
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खून की जांच -
खून की जांच, क्रिएटिनिन के स्तर को पता लगाने में
मदद करता है जो निस्पंदन प्रक्रिया के दौरान किडनी से समाप्त होता है। क्रिएटिनिन
का स्तर उम्र, जाति, ऊंचाई
और वजन के हिसाब से भिन्न होता है। रक्त में क्रिएटिनिन का उच्च स्तर को इंगित
करता है कि किडनी को नुकसान पहुंचा है या नहीं।
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इमेजिंग परिक्षण -
इमेजिंग टेस्ट में किडनी के आकार और स्थिति में असामान्यताओं का पता लगाने के लिए
अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन शामिल होते हैं। यह जांच पत्थरों या ट्यूमर का पता
लगाने में भी मदद करते हैं जो आपकी किडनी के कामकाज को प्रभावित करने के लिए काम
करते हैं।
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किडनी बायोप्सी - किडनी
बायोप्सी में स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपके किडनी के सेल का मुद्रीकरण करते हैं। यह
परिक्षण आपकी किडनी के काम को प्रभावित करने विशिष्ट बीमारी का पता लगाने में मदद
करता है। यह नुकसान के स्तर को चिह्नित करने में भी मदद करता है। जांच के लिए किडनी
बायोप्सी में किडनी से ऊतकों को लिया जाता है।
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पेशाब की जांच -
किडनी पेशाब के माध्यम से अपशिष्ट को समाप्त करती है। पेशाब की जांच से यह पता चला
है कि यदि आपकी किडनी ठीक से काम कर रही है या नहीं। किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट में
पेशाब का परिक्षण शामिल होता है जो प्रोटीन और क्रिएटिनिन के स्तर को जानने में
मदद करता है।
किडनी डिजीज से बचने के उपाय –
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व्यायाम करें - रोजाना
व्यायाम और शारीरिक गतिविधियां करें, क्योंकि
इससे ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर नियंत्रण में रहेगा। इसकी वजह से डायबिटीज और उसके
कारण क्रोनिक किडनी डिजीज होने का खतरा कम हो जाता है।
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डायबिटीज का ध्यान रखें - किडनी
डिजीज के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में से एक है। डायबिटीज तब होता है,
जब शरीर में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है। बता दें कि,
यह किडनी के लिए भी ठीक नहीं है। ब्लड शुगर का लेवल अधिक बढ़ने से
किडनी काम करना भी बंद कर देती है। इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर और शरीर में रक्त
की कमी भी हो सकती है।
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हाई ब्लड को नियंत्रण में रखें - हाई
ब्लड प्रेशर को हमेशा उचित समय में नापकर नियंत्रित रखें, क्योंकि
यह क्रोनिक किडनी डिजीज के लिए जिम्मेदार कारकों में से एक है। साथ ही वसायुक्त
खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है, जो
दिल के साथ किडनी के लिए भी ठीक नहीं है।
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वजन को सामान्य रखें - संतुलित
आहार और नियमित व्यायाम से अपने वजन को सामान्य रखें। वजन को सामान्य न रखने पर
डायबिटीज, दिल का रोग और अन्य बीमारियों की
रोकथाम में मदद मिलेगा, जो
क्रोनिक किडनी डिजीज की समस्या से बचाव करता है।
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तंबाकू और धूम्रपान न करें - धूम्रपान
और तंबाकू का सेवन से एक विशेष बीमारी हो सकती है, जिससे
खून नलिकाओं में खून का बहाव धीमा पड़ जाता है। किडनी में खून कम हो जाने से उसकी
कार्यक्षमता घट जाती है। इसलिए हो सके, तो धूम्रपान और शराब की लत की जल्द से जल्द
बंद कर दें।
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बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें
- दवा दुकान से दवाओं की खरीद और उनका स्वंय सेवन,
जिसमें डॉक्टर की सलाह न ली गई हो, कई
बार किडनी के लिए खतरनाक हो सकता है। सामान्य दवाएं जैसे नाम स्टेर राईट एंडी
इन्फेलेमेटरी दवाएं (इब्यूप्रोफेन) आदि नियमित रप से लेने पर वह किडनी को नुकसान
पंहुचा कर पूरा खराब भी सकती है। दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह से ही उसकी जांच
कराएं और अपनी किडनी को खतरे में न डालें।
किडनी की देखभाल के कुछ सुझाव –
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स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें और रोज
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जितना
हो सके शराब का सेवन, धूम्रपान, तला
हुआ भोजन, प्रोसेस्ड और पैकेज्ड भोजन से बचें।
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हर साल किडनी की जांच जरूर कराएं। समय
पर निदान और उपचार किडनी की बीमारियों को रोकने और उनका इलाज करने में मददगार हो
सकता है।
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सभी देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए
कि, किडनी रोगियों को दवाइयां सहित सभी
बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों।
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किडनी को स्वस्थ रखने के लिए बेहतर
जीवन के साथ अपने खान-पान का भी ध्यान रखें और कोशिश करें कि,
बाहर का खाना और अनहेल्थी चीजें न खाएं।
किडनी डिजीज में रोगी इस सब खास बातों का अच्छे से पालन करें और हर
चीजों का परहेज करें, तो किडनी की गंभीर बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं।
किडनी डिजीज होने पर अपनाएं आयुर्वेदिक उपचार -
भारत एक ऐसा देश है जहां आयुर्वेद ने जन्म लिया और आज भी इसके
इस्तेमाल से कई गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। यह बात सबने सुनी
होगी कि, आयुर्वेद के जरिए किसी भी बीमारी का
इलाज निश्चित है उसी प्रकार कर्मा आयुर्वेदा की मदद से किसी भी प्रकार की किडनी की
समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यहां आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों
की मदद से किडनी से जुड़ी समस्या का इलाज करते हैं। इनकी औषधि में शामिल है यह
जड़ी-बूटियां जैसे कि – कासनी, हल्दी, गोखरू, अदरक, गोरखमुंडी, त्रिफला, शिरीष, वरूण,
पलाश, पुनर्नवा और गुदुची
आदि। इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल खुद से इलाज के तौर पर न करें। किडनी से जुड़ी
दिक्कतों के इलाज के लिए कर्मा आयुर्वेदा में डॉ. पुनीत धवन से संपर्क करें।
कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल दिल्ली के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार
केंद्र में से एक है। यह अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया
था और आज इसका नेतृत्व सर्वश्रेष्ट आयुर्वेदाचार्य यानी कि डॉ. पुनीत धवन कर रहे
हैं। यहां आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से किडनी के मरीजों का इलाज किया जाता है। डॉ.
पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके,
उन्हें रोग मुक्त किया है वो भी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के
बिना। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक उपचार के साथ डाइट चार्ट और योग करने की
सलाह दी जाती है जिससे रोगी जल्दी ही स्वस्थ हो सकें।
आयुर्वेद तन और मन के बीच का संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता
है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है, बल्कि
यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे
जीवन लंबा और खुशहाल होता है। आयुर्वेद के मुताबिक, शरीर
में वात, पित्त और कफ जैसे तीनों मूल तत्वों के
संतुलन से कोई भी बीमारी आप तक नहीं आ सकती है, लेकिन
जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो
बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है और आयुर्वेद में इन्हीं तीनों का संतुलन बनाया
जाता है। आयुर्वेद में प्रतिरोध क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता है,
ताकि किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के
इलाज के लिए हर्बल उपचार, घरेलू
उपचार का इस्तेमाल किया जाता है।