क्या एंटीबायोटिक्स किडनी के लिए हानिकारक हैं?


किडनी खराब होने के कई कारणों में से एक कारण हैं “एंटीबायोटिक दवाओं” का अधिक सेवन करना। अगर आप एंटीबायोटिक दवाओं या अन्य किसी प्रकार की दवाओं का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, तो यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपकी किडनी के कार्य को नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण किडनी खराब हो सकती है। किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं को नेफ्रोटॉक्सिक (Nephrotoxic) दवाओं के नाम से जाना जाता है। नेफ्रोटॉक्सिक दवाएं किडनी में रक्त प्रवाह को बाधित करने के साथ-साथ रक्त शुद्ध करने की प्रक्रिया को भी रोकती है। अगर आप पहले से ही किडनी से जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इबुप्रोफेन जैसे एंटीबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एंटीबायोटिक किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है।
6 दवाएं जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं :-
1. गैर-स्टेरायडल विरोधी, सूजन-संबंधी दवाएं (Non-steroidal anti-inflammatory drugs)
किटोप्रोफेन, नेप्रोक्सन और इबुप्रोफेन जैसी एलोपैथी दवाएं किडनी तक पहुँचने वाली रक्त वाहिंकाओं को संकीर्ण कर देती हैं। ऐसा होने से किडनी तक रक्त पहुँचने में समस्या होती है साथ ही किडनी ऊतक (Tissue) के लिए घातक हो सकती है।
2. एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक्स अलग-अलग तरीकों से किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अमीनोग्लाइकोसाइड्स किडनी की ट्यूबलर कोशिकाओं में विषाक्त तत्वों को पैदा कर सकते हैं, क्योंकि वह विषाक्त पदार्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसी तरह, सल्फोनामाइड्स नामक एक अन्य एंटीबायोटिक है, जो एक प्रकार का नमक है यह क्रिस्टल का उत्पादन करता है। यह पेशाब के साथ शरीर से बाहर नहीं जाता, जिससे पेशाब के प्रवाह में समस्या हो जाती है। लंबे समय तक यह समस्या होने के कारण किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है।
3. एचआईवी दवाएं (HIV medicines)
एचआईवी की दो खास दवाएं हैं “विरेड और रेयाट्ज़”, यह दोनों दवाएं किडनी के लिए हानिकारक होती है। यह दोनों दवाइयां किडनी के ट्यूबलर कोशिकाओं में विषाक्त तत्वों के बनने कारण बन सकती हैं।
4. एंटी-ट्रांसलेशन पोस्ट-ट्रांसलेशन दवाएं (Anti-translation post-translation drugs)
कुछ एंटी-रिजेक्शन दवाएं जैसे साइक्लोस्पोरिन और टैक्रोलिमस किडनी के आसपास रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ सकती हैं, जिससे रक्त प्रवाह पूरी तरह नहीं हो पाता और किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है।
5. एंटीवायरल ड्रग्स (Antiviral Drugs)
चिकनपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले एसाइक्लोविर दवाएं जैसे ड्रग्स आपकी किडनी की सूजन और शरीर में सूजन का कारण बन सकते हैं। एसाइक्लोविर दवाएं शरीर में क्रिस्टल के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है जो खराब किडनी में स्टोन बना देता है और साथ ही इसके सेवन से किडनी खराब भी हो सकती है।
6. मूत्रवधक दवाएं (Diuretics medicines)
मूत्रवर्धक दवाएं हमेशा आपके शरीर के लिए अच्छी नहीं होती। रक्तचाप के लिए उपयोग किए जाने वाले मूत्रवर्धक दवाएं आपके शरीर में पानी की कमी, सूजन, रक्त में तरल पदार्थ का निर्माण, और कई अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।
दवाओं के दुष्प्रभाव, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं :-
बिना चिकित्सक की सलाह के लीं गईं दवाओं के कारण से भी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए आप कोई भी एलोपैथी दवाएं बिना चिकित्सक की सलाह के ना लें। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आपको आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन करना चाहिए। एंटीबायोटिक दवाओं के कारण किडनी को शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित करने के लिए अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे किडनी पर दबाव पड़ता है। एंटीबायोटिक दवाएं ना केवल किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
निम्नलिखित कुछ ऐसी जटिलताएँ हैं, जो एक किडनी रोगी को कुछ दवाओं या एंटीबायोटिक दवाओं के नकारात्मक प्रभाव के कारण हो सकती है :-
        रक्त में एल्बुमिन के स्तर में वृद्धि
        क्रिएटिनिन में वृद्धि
        किडनी की धमनियों का पतला होना
        किडनी में सूजन
        शरीर में इलेक्ट्रोलाइट और तरल प्रदार्थ असंतुलन
        किडनी ट्यूबलर एसिडोसिस
        क्रोनिक किडनी डिजीज या तेज़ी से किडनी खराब होना
        एनाल्जेसिक नेफ्रोपैथी
एंटीबायोटिक दवाओं के नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए आपको केवल चिकित्सक की देखरेख में ही एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करना चाहिए। ध्यान दें, अगर एक किडनी फेल्योर रोगी जो पहले से ही आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन कर रहा है या डायलिसिस से जूझ रहा है उसे एंटीबायोटिक लेने से बचना चाहिए। जो किडनी रोगी रीनल डाईट पर हैं, उन्हें भी एंटीबायोटिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
एंटीबायोटिक लेते समय इन बातों का रखें ख्याल :-
एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन के दौरान आपको निम्नलिखित बातों क्या ध्यान जरूर रखना चाहिए, जिससे आपकी किडनी स्वस्थ बनी रहेगी -
·         एंटीबायोटिक लेते समय लेबल पर ध्यान दें और अपने चिकित्सक द्वारा बताई गयी मात्रा में ही दवाओं का सेवन करें।
·         यदि संभव हो तो NSAIDs दवाओं के सेवन से बचने का प्रयास करें। किसी नई दवा के सेवन या दीर्घकालिक उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लें।
·         एंटीबायोटिक दवाओं के साथ नियमित रूप से शराब का सेवन करने से बचे, क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकता है, रक्तचाप बढ़ा सकता है और आपके लीवर से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।
·         एंटीबायोटिक्स लेते समय भरपूर पानी लें, क्योंकि इससे टॉक्सिन्स बाहर निकल जाएंगे। रक्तचाप के लिए उपयोग किए जाने वाले मूत्रवर्धक दवाएं किडनी फेल्योर का कारण भी बन सकती है।
·         गर्भावस्था के दौरान किडनी की समस्याएं अधिक आम हैं और यदि आप काफी हद तक NSAIDs पर निर्भर हैं, तो समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है। इस दौरान गर्भवती महिला की किडनी खराब भी हो सकती है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी रोग का आयुर्वेदिक उपचार :-
वैसे तो आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेदा ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें


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