हम किडनी को स्वस्थ रखने के लिए क्या कर सकते हैं?


बीमारी कोई भी हो इसका एक ही मतलब होता है रोगी पर मुसीबतों का पहाड़ टूटना है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को किडनी फेल्योर हो जाए तो इसका मतलब है कि उसकी जान को खतरा है। किडनी हमारे शरीर का सबसे अभिन्न अंग है, यह हमारे शरीर में बहाने वाले खून को साफ करने का कार्य करती है। खून साफ करने के दौरान किडनी उसमे मौजूद सारे अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है।
एक मनुष्य के शरीर में बहने वाले खून में में सोडियम, पोटेशियम, यूरिक एसिड, यूरिया, अतिरिक्त शर्करा जैसे अपशिष्ट उत्पाद होते हैं, जिनकी अधिक शरीर में अतिरिक्त मात्रा होने के कारण किडनी खराब हो जाती है। किडनी खराब होने के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उचित उपचार ना मिलने के कारण किडनी रोगी की जान तक भी जा सकती है। एक बार किडनी खराब होने पर उसे पुनः स्वस्थ करना बहुत ही मुश्किल होता है।
ऐसे में हमें चाहिए कि किडनी को पहले से ही खराब होने से बचाएं। हम को खराब होने से बचाने के लिए कई तरीकों को अपना सकते हैं, जिनकी मदद से किडनी स्वस्थ बनी रहती है। अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो निम्न वर्णित बातों को अपने जीवन में अपनाएं
1.       अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। जिससे किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है। नेफ्रोटॉक्सिक दवाएं किडनी में रक्त प्रवाह को बाधित करने के साथ-साथ रक्त शुद्ध करने की प्रक्रिया को भी रोकती है। अगर आप पहले से ही किडनी से जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इबुप्रोफेन जैसे एंटीबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एंटीबायोटिक किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है।
2.       कैफीन का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, यह चाय या कॉफी में उपलब्ध है जो आपकी किडनी को तनाव दे सकती है। अगर आप चाय या कॉफी के अधिक शोकिन है, तो आप इसके विकल्प में ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं। ग्रीन टी किडनी को डिटॉक्स करती है, इसलिए वह शरीर से कचरे को छानने और बाहर निकालने के लिए अच्छी तरह से काम कर सकती हैं।
3.       मधुमेह किडनी खराब होने का मुख्य कारण माना जाता है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, शर्करा से भरे हुए रक्त को शुद्ध करते समय किडनी के नेफ्रोन पर दबाव पड़ता है। किडनी के नेफ्रोन पर लगातार दबाव पड़ने के कारण किडनी खराब हो जाती है। अगर किडनी रोगी मधुमेह की समस्या से जूझ रहे हैं, तो उन्हें रक्त शर्करा को काबू में रखना चाहिए।
4.       किडनी की समस्याओं से बचने के लिए व्यक्ति को अपने आहार में से पोटेशियम युक्तर खाद्य पदार्थों की कटौती करनी चाहिए। हालांकि पोटेशियम का सेवन तभी कम करना है, जब इसकी आवश्यकता हो, यह फिर आपकी किडनी का फंग्शपन 20 प्रतिशत से भी नीचे चला गया हो। पोटेशियम उच्च रक्तचाप की समस्या से निदान पाने के लिए जरुरी होता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। शरीर में पोटेशियम की मात्रा कम करने के लिए आप संतरा, पालक, अनार, केला, अंगूर, टमाटर, केला आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
5.       किडनी को स्वस्थ रखने के लिए हाई ऑक्सा लेट खाद्य प्रदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। किडनी में पथरी से बचने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिनमे ऑक्सालेट एसिड की मात्रा अधिक हो। कॉफी, चाय, टोफू, बीट, जामुन, बादाम, संतरे, मीठे आलू, बीन्स, चॉकलेट, अंधेरे पत्तेदार हरी सब्जियां और मसौदा बियर (Draft beer ) में ऑक्सालेट एसिड की मात्रा अधिक पाई जाती है।
6.       उच्च प्रोटीन किडनी की विफलता का कारण बन सकता है। इसी कारण आपको उच्च प्रोटीन वाले आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। दूध, पनीर, दही, मीट में अधिक प्रोटीन होता है। प्रोटीन बार का सेवन नहीं करना चाहिए। सामान्यतः 0.8 से 1.0 ग्राम/ किलोग्राम प्रतिदिन शरीर के वजन के बराबर प्रोटीन लेने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर प्रोटीन बार में एक चॉकलेट ब्राउनी के रूप में दोगुनी मात्रा में फैट और कॉर्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जोकि नुकसानदायक होता है।
7.       किडनी खराब होने के पीछे उच्च रक्तचाप सबसे बड़ा कारण माना जाता है। रक्त में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाने पर व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होने लगती है। उच्च रक्तचाप के कारण शरीर में रक्त प्रवाह में समस्या होती है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण किडनी को रक्त शुद्ध करने के दौरान फिल्टर्स पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है। रोगी को नमक का सेवन ना के बराबर ही करना चाहिए, आप साधारण नमक की जगह सेंधा नमक को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
8.       धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक होता है, यह बहुत सी समस्याओं के साथ-साथ किडनी खराब होने का कारण बन सकता है। इसके अलावा इससे ऐथेरोस्कलेरोसिस नामक बीमारी भी हो सकती है, जिससे रक्त नलिकाओं में रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है। किडनी में रक्त कम जाने से उसकी कार्यक्षमता घट जाती है।
9.       प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (processed foods) का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आपको पाचन से जुड़ी समस्या को पैदा कर सकते हैं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का जिनका सेवन करने से आपके पेट में गैस बनने लगती है और संक्रमण होने की आशंका भी रहती है। इसलिए केन फूड, चिप्स आदि खाने के बजाए साबुत आहार खाएं जो सेहतमंद भी होते हैं।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है। कर्मा आयुर्वेदाकिडनी फेल्योर का आयुर्वेद की मदद से सफल उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेदा बिना किसी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के ही खराब किडनी को ठीक करता है। वर्ष 1937 में कर्मा आयुर्वेदा की नीव धवन परिवार द्वारा रखी गयी थी तभी से कर्मा आयुर्वेदा किडनी फेल्योर के रोगियों को इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलाता आ रहा है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद की बागडोर को संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत ने अभी तक 35 हजार से भी ज्यादा रोगियों को किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलवाया है, वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये।



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