गाउट से कैसे राहत पाई जा सकती है?


जब किडनी सही तरह फिल्टर नहीं कर पाती है, तो यूरिया यूरिक एसिड में परिवर्तित होकर हड्डियों के बीच में जमा हो जाता है। हड्डियों के बीच यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से गाउट हो जाता है, जो एक प्रकार का गठिया रोग ही होता है जिसमें शरीर के जोड़ों में बहुत दर्द रहने लगता है। यूरिक एसिड का स्तर बढ़ना किडनी में आई खामी की तरफ इशारा करता है, यह किडनी खराब होने का लक्षण माना जाता है। यह समस्या भले ही आम सी नज़र आती है लेकिन यह कई समस्याओं को बढ़ा सकती है, ऐसे में इससे जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहिए।  
गाउट से कैसे बचाव किया जा सकता है?
आप अपनी जीवनशैली में थोड़े बदलाव कर गाउट के जोखिम कारकों के खतरों से बच सकते हैं। इसलिए आप निम्नलिखित बातों का ध्यान कर इस समस्या से बच सकते हैं :-
1.       आपको उच्च स्तर के प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आपको लाल मांस, बासी खाना, तेल से बनी हुई मछली, समुद्री भोजन और खमीर उठाकर बनाने वाले खाद्य पदार्थों के आहार से बचना चाहिए।
2.       अभिक मीठे पेय उत्पादों और स्नैक्स का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह भी गाउट को बढ़ाने का काम करते हैं।
3.       आपके शरीर के लिए जरूरी वजन को बनाएं रखें और संतुलित आहार का सेवन करें।
4.       आपको गाउट से बचने के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए और ऐसी गतिविधियों को करें जिससे आपके जोड़ों पर ज्यादा तनाव न डालें।
5.       आपको यूरिक एसिड से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। शरीर में पानी का सही स्तर बनाएं रखने से आपके जोड़ों में क्रिस्टल बनने का जोखिम कम हो जाता है।
6.       गाउट की समस्या से बचने के लिए शराब का सेवन कम करना चाहिये और बियर के सेवन से जितना हो सके बचना चाहिए।
गाउट गठिया होने पर आने वाली सूजन से कैसे छुटकारा पाया जाए?
जब किसी व्यक्ति को किडनी खराब होने के कारण गाउट की समस्या हो जाती है या केवल सामान्य गाउट की समस्या होती है तो उसके पैरों में सूजन आ जाती है। यह गाउट होने का एक आम लक्षण माना जाता, अगर आप इससे राहत पाना चाहते हैं तो आप निम्नलिखित उपायों को अपना कर इससे छुटकारा पा सकते हैं :-
सेब का सिरका -
सेब का सिरका किडनी रोगी के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह किडनी साफ करने में काफी लाभकारी माना जाता है साथ ही यह किडनी खराब होने के कारण पैरों में आई सूजन को दूर करने में मदद करता है। इसमें पोटेशियम होता है जो वाटर रिटेंशन को कम करता है। आप सूजन कम करने के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल दो प्रकार से कर सकते हैं
1.       सबसे पहले गर्म पानी और सेब के सिरके को बराबर मात्रा में मिला लें। अब एक तौलिया लें और सिरके और गर्म पानी में डूबा लें। अब तौलिये को अच्छे से निचोड़ दें और फिर उसे सूजन वाली जगह पर कुछ समय तक लगाए रखें। आप इस प्रक्रिया को दस बार दोहराएं। आप इस क्रिया को दिन में दो बार करें, और ऐसा तब तक करें तब तक सूजन ना चली जाए।
2.       आप दो चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में मिला लें, साथ ही इसमें थोड़ा सा शुद्ध शहद भी मिला ले और इसका सेवन दिन करें। आप इस पेय का सेवन सप्ताह में दो बार करें, देखते ही देखते आपकी सूजन कम होने लग जाएगी।
अदरक -
अदरक एक प्राकृतिक औषधी है जो ना केवल चाय का स्वाद बढ़ाती है बल्कि यह किडनी खराब होने के कारण पैरों में आई सूजन से राहत दिलाने में भी मदद करती है। अदरक सोडियम को कम करता है, जो कि सूजन का एक बहुत बड़ा कारण है। इसके साथ ही इसमें सूजनरोधी गुण मौजूद होते हैं जो सूजन को दूर करते हैं। इसके अलावा आप दो या तीन कप अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं या अदरक के टुकड़ों को चबा भी सकते हैं। साथ ही आप रोज़ाना पूरे दिन में एक या दो बार अदरक के तेल से पंजों पर मसाज करें। ऐसा करने से आपको निश्चित ही सूजन में राहत मिलेगी।
पैरों की सिंकाई करें -
सिंकाई किसी भी अंग की सूजन कम करने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका होता है। सिंकाई से सूजन दूर करने का सबसे असरदार तरीका है, सुजन वाले हिस्से की सिंकाई करना। ऐसा करने से नसों में आई सूजन कम होती है और दर्द में भी आराम मिलता है। सिंकाई द्वारा पैरों की सूजन दूर करने के लिए आप पानी गर्म कर लें और दो टब लें,  अब एक टब में गुनगुना पानी भर लें और दूसरे टब में सामान्य ठंडा पानी डाल लें। जिस पैर में सूजन है उसे पहले 5 मिनट गुनगुने पानी में डालें और फिर 5 मिनट ठंडे पानी में रखें। इससे सूजन और दर्द में आराम मिलेगा।
नींबू पानी की मदद से –
नींबू पानी पीने से बॉडी से टॉक्सिंस निकल जाते हैं। इससे पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन भी कम होगी। एक कप हल्के गर्म पानी में 2 टेबलस्पून नींबू का रस मिलाएं और इसमें थोड़ा सा शहद मिलाएं। कुछ दिनों तक नींबू पानी पीएं, आपको जल्द राहत मिलनी शुरू हो जायगी। किडनी रोगी को नींबू के सेवन की मनाही होती है इसलिए आप इसके सेवन से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरुर लें।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।




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