आयुर्वेद की अदालत में एलोपैथी ने हारा केस
आप सभी को मेरा नमस्कार, मेरा
नाम सुमित है मैं करनाल, हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं पेशे से एक वकील हूँ और
चंडीगढ़ में अपनी वकालत चलता हूँ। मैंने आज बहुत से केस जीते हैं और हारे हैं,
लेकिन बीते साल मेरे पास एक केस ऐसा आया जिसमे मैं तमाम दलीलों के बावजूद भी हार रहा
था। जब मैं अपने इस केस को पूरे देश की हर अदातल में एक से बढ़कर एक जज के सामने
पेश कर चूका था, तो मैंने अपनी हार मान ली थी। लेकिन तभी एक ऐसा जज मेरी जिंदगी
में आया जिसने मुझे मेरा ये केस जीतवा दिया।
आप लोग सोच रहे होंगे की ऐसा कौन सा मसला था जिसे तकरीबन हर कोर्ट के पास ले
जाना पड़ा, ये केस था मेरी लगातार बिगडती तबियत का। वकील हूँ ना, इसलिए वकालत की
भाषा में ही अब तक आप लोगो से बात कर रहा था। दरअसल, पिछले साल की शुरुआत में मेरी
एक किडनी बिलकुल ही खराब हो गई थी, जिसके कारण से मुझे ट्रांसप्लांट की नौबत आ गई
थी। खराब हुई किडनी को ठीक करवाने के लिए और ट्रांसप्लांट से बचने के लिए मैं देश
भर के तक़रीबन हर किडनी एक्सपर्ट से मुलाकात कर ली थी, लेकिन मेरे हाथ निराशा के
अलवा कुछ भी नहीं लगा।
मुझे तेज़ नामक खाना काफी अप्संद है, मैं फीका और बिन मसाले वाला खाना बिलकुल
भी नहीं खा सकता। अगर खाने में नमक कम डला हुआ है तो मैं उसमे और नमक डालता हूँ और
मिर्च का भी कुछ ऐसा ही हिसाब है। यहाँ तक की अगर नमक थी डला हुआ है तो भी मैं जब
तक ऊपर से नमक नहीं डालता मुझे खाना खाने में कोई मजा ही नहीं आता था। मेरी तेज़
नामक खाने की यही आदत मुझ पर ऐसी भारी पड़ी, जिसने मुझे दिन में तारों की जगह पूरा
का पूरा ब्रह्माण्ड ही दिखा दिया था। मेरी
नामक खाने की आदत के चलते ही मेरी किडनी खराब हुई थी।
मुझे इस बारे में तो पता था कि नामक खाने से हाई ब्लडप्रेशर की प्रॉब्लम होने
लगती है, लेकिन मुझे इस बारे में नहीं पता था की ब्लडप्रेशर हाई रहने से किडनी पर
बुरा असर पड़ता हिया और वो खराब हो जाती है। एक दिन मैं कोर्ट गया हुआ था, वहां पर
अचानक से मेरी तबियत खराब हो गई। मुझे एक दम से चक्कर आने लगे और मैं बेहोश हो
गया, मुझे उसी वक्त पास के ही हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया, जहाँ से मुझे शाम को
ही डिस्चार्ज कर दिया गया। वहां के डॉक्टर ने मुझसे कहा कि आपका ब्लडप्रेशर एक दम
से हाई हो गया था जिसके कारण से बाप बेहोश हो गये थे, उन्होंने मुझे आराम करने और
डाइट का ख्याल रखने की सलाह दी।
लेकिन, अचानक से आई ये हल्की सी बेहोशी एक बड़ी परेशानी की ओर बड़ा इशारा कर
रही, जिसे मैंने नजरंदाज़ कर दिया था। उस दिन के बाद अक्सर मेरी तबियत खराब रहने
लगी, कभी बुखार तो कभी बदन दर्द होना। एक दिन मुझे उलटी जैसा महसूस होने लगा, ऐसा
लग रहा था कि मुझे अपच की दिक्कत हो गई है, जिसके चलते मैंने घर से ही दवा ले ली।
तक़रीबन एक माह तक ऐसा ही चलता रहा, इसी बीच मेरी ब्लडप्रेशर की दवाएं भी शुरू हो
गई थी और मेरे नमक खाने पर भी कण्ट्रोल होने लगा था। लेकिन बावजूद इसके मेरा
ब्लडप्रेशर नार्मल हो ही नहीं रहा था।
एक रात मुझे अचानक से उल्टियाँ आने लगी, मुझे लगा तबियत तो खराब है उसके कारण
से आ रही होगी। लेकिन ये उल्टियाँ रात भर नहीं रुकी, तो मैंने सुबह होते ही डॉक्टर
को दिखाया और उन्होंने इसके लिए मुझे दवा दे दी। दवा लेने से मुझे थोडा बहुत आराम
तो मिला, लेकिन मुझे उल्टी जैसा ही महसूस हो रहा था। शाम होते होते मैंने देखा कि
मेरे चहरे पर सूजन आई हुई है, जिसे देख कर ऐसा लग रहा था कि दवाई से रिएक्शन हो
गया हो, मैंने इस बारे में तुरंत डॉक्टर को बताया। अगली सुबह तक मुझे काफी तेज़
बुखार हो चूका था और मेरे चहरे के साथ-साथ अब मेरे पैरों में भी काफी सूजन आ चुकी
थी।
मेरी तबियत को देखते हुए मुझे हॉस्पिटल में एडमिट करवाना पड़ा, वहां पर डॉक्टर
ने तुरंत मुझे कुछ टेस्ट करवाने को बोला। मैंने वहीं पर तुरंत सारे टेस्ट करवा
लिए, देर शाम तक सारी रिपोर्ट्स भी आ गई। जब सारी रिपोर्ट्स आई तो उसमे कुछ भी सही
नहीं था, मेरे रिपोर्ट्स में नज़र आ रहा था कि मेरी किडनी में काफी परेशानी है,
क्योंकि मेरा क्रिएटिनिन लेवल काफी बढ़ा हुआ था। डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरी एक
किडनी काफी खराब हो गई है। किडनी खराब होने के कारण से ही मुझे ये सब दिक्कते हो
रही है। डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरा क्रिएटिनिन लेवल 10 तक आ पहुंचा है और ये सब
हुआ है हाई ब्लडप्रेशर और ज्यादा नामक खाने के कारण हुआ है।
डॉक्टर ने मेरी हालत को देखते हुए मुझे तुरंत डायलिसिस करवाने को कहा, मैंने
इसके लिए हाँ कर दी और कुछेक दिनों में ही मेरा डायलिसिस शुरू हो गया। इससे पहले
मुझे डायलिसिस के बारे में कुछ अभी नहीं पता था, लेकिन मुझे एक बार में ही
डायलिसिस के बारे में सब कुछ पता चल। सच में डायलिसिस होने से बहुत ज्यादा तकलीफ
होती है, जब भी मेरा डायलिसिस होना होता मैं यही सोचता कि अगर मै ज्यादा नामक नहीं
खाता तो आज मेरी किडनी खराब नहीं होती। तक़रीबन एक माह तक डायलिसिस होने के बाद जब
मुझे कोई सुधर नहीं आया तो मैंने किसी दुसरे डॉक्टर के पास जाने की सोची। इसके बाद
मैं दिल्ली आ गया, यहाँ पर मुझे किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कहा गया।
मैंने ट्रांसप्लांट की बात सुनते ही इसके लिए मना कर दिया, क्योंकि मैं किडनी
के सहारे नहीं जीना चाहता था। इसके बाद मैंने अपने एक क्लाइंट के पास फोन किया वो
चेन्नई के एक बड़े डॉक्टर हैं। मैंने उनको सारी बाते बताई तो उन्होंने भी मुझे
डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के बारे में ही बताया। मैं जिस किसी भी
हॉस्पिटल में जाता हर डॉक्टर मुझे डायलिसिस ओर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कहता।
मैं ये दोनों शब्द सुन सुनकर एक दम हार चूका था, मुझे साफ साफ नज़र आ रहा था कि अब
मैं अपनी जिन्गदी का केस हारने वाला हूँ अब मैं नहीं बचने वाला। इस दौरान तक मेरा
करीब बार डायलिसिस हो चूका था, लेकिन मेरी तबियत में कोई सुधार नहीं हो प् रहा था।
लेकिन शायद भगवान को मुझे अभी और जिन्दा रखना थ और मुझसे अभी और भी केस लड़वाने
थे, एक दिन ऐसा आया जब मुझे एक आशा की किरण नज़र आई। एक दिन मैं अपने घर में आराम कर रहा था तो मेरा
एक क्लाइंट मुझसे मिलने के लिए आया। उनको मेरी हालत के बारे में फ़िलहाल तक कुछ भी
नहीं पता था, वो मुझसे एक केस हैंडल करवाने के लिए आए थे। जब उनको पता चला कि मेरी
किडनी खराब हो गई है और डॉक्टर ने मुझे जवाब दे दिया है तो उनको ये सुनकर बहुत ही
बुरा लगा।
उन्होंने मुझसे कि अब तक कहाँ कहाँ से ट्रीटमेंट लिया है तो आइने उनको सब कुछ बता दिया। तो उन्होंने अचानक
से मुझसे पूछा कि क्या मैंने आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लिया है? मैं उनकी बात को सुनकर
थोडा हैरान हो गया। मैंने उनसे पूछा कि क्या आयुर्वेद में इसका इलाज हो सकता है तो
उन्होंने मुझे हाँ में उत्तर दिया। उन्होंने मुझसे कहा, “आयुर्वेद की मदद से इस बीमारी
को जड़ से खतम किया जा सकता हिया और उसमे ट्रांसप्लांट तो क्या डायलिसिस की भी
जरूरत नहीं पड़ेगी”।
उन्होंने मुझे बताया कि दिल्ली में एक हॉस्पिटल है, “कर्मा आयुर्वेदा” जो कि
किडनी फेल्क्योर के लिए आयुर्वेदिक उपचार देते हैं। उन्होंने मुझे इस हॉस्पिटल का
युट्यूब चैनल भी दिखाया, जिसमे किडनी से रिलेटेड बहुत सी बातें बताई गई थी। मैंने
तुरंत ही कर्मा आयुर्वेदा जाने की ठान ली। मैं अगले ही दिन करनाल से दिल्ली के लिए
निकल लिया। मैं करीब घंटे भर में ही कर्मा आयुर्वेदा पहुँच चूका था। वहां पर बहुत
सारे किडनी रोगी आए हुए थे, कुछ लोग पहली बार आए थे तो कुछ पहले आ चुके थे।
मेरी मुलाकात वहां पर डॉ. पुनीत धवन से हुई, जिनको मैंने अपनी सारी रिपोर्ट्स
दिखाई। आपको बता दूँ कि डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा के डॉक्टर है, जो एक
आयुर्वेदिक किडनी डॉक्टर है। उन्होंने मेरी रिपोर्ट्स देखी और मुझसे कहा, “वकील
साहब अब नमक खाना बिलकुल बंद करना होगा, चटपटा खाना बंद कर दो, हाँ, बस कोर्ट में
ही चटपटी बातें कर सकते हो”। डॉ. पुनीत धवन ने मेरी हालत को देखते हुए मुझे चार
महीने तक दवाएं खाने को कहा, और मुझे बहुत ज्यादा स्ट्रीक डाइट प्लान भी दिया।
मैंने उनकी दी हुई सारी दवाओं का टाइम से सेवन किया और योग भी शुरू कर दिया।
एक महीने के नादर ही मेरा क्रिएटिनिन लेवन जो शुरू में 10 के करीब वो अब 6 से कम
हो चूका था। मैंने उनको समय समय पर दिखता रहा, आज इन बातों एक साल बीत चूका है। आज
मैं एक दम फिट हूँ और पहले की तरह ही कोर्ट में वकालत कर रहा हूँ, अगर डॉ. पुनीत
धवन नहीं मिलते तो मैं ये केस पक्का हार जाता।