मेरा नाम रंजना हूँ, मैं झारखण्ड की राहने वाली हूँ
मेरा नाम रंजना हूँ, मैं झारखण्ड की राहने वाली हूँ। मैं जहाँ से आती हूँ वो
एक आदिवासी क्षेत्र है, हमारे आसपास शुरुआत से ही तकनीक की कमी रही है, हमे हमेशा
से ही किसी भी प्रकार की आधुनिकता से दूर रहे हैं। बीते दो वर्ष पहले पहले जब मेरी
किडनी खराब हुई तो भी मुझे इस बारे में काफी समय बाद पता चला, क्योंकि उनकी
रिपोर्ट्स मुझ तक आने में तक़रीबन एक माह का समय लग गया था।
मेरा परिवार एक आदिवासी समुदाय से संबंध रखता है, जिसके कारण हमे शुरुआत से ही
जंगल और जडीबुटीयों के बारे में अच्छी तो नहीं लेकिन काफी जानकारी है। हम जब भी बीमार होते है तो हम डॉक्टर के पास
जाने से पहले घर पर ही जड़ी बूटी से उसका उपचार करते हैं, जो कि काफी उत्तम है। जड़ी
बूटियां अगर हमें ठीक नहीं कर पाती, तो वो हमे एलोपैथी की भांति कोई नुकसान भी
नहीं देती। जब मेरी किडनी खराब हुई तो मैंने खुद अपने लिए आयुर्वेदिक उपचार चुना,
जिसकी बदौलत आज मैं एक अच्छा जीवन व्यतीत कर रही हूँ।
मेरे माता पिता दोनों को ही मधुमेह की समस्या रही है जिसके कारण से मुझे
मधुमेह की समस्या विरासत में मिली है। लेकिन मेरे घर वाले इस बारे में शुरुआत से
जानते थे तो उन्होंने इस बारे में मेरा खासा ख्याल रखा और अपना भी। लेकिन मेरी
किस्मत उनके तरह नहीं थी, उन्हें इस बारे में पता था कि मधुमेह होने के कारण बहुत
सी दिक्कते हो सकती है, जैसे – आँखे से कम दिखना, वजन बढ़ाना, पेशाब से जुडी कोई
समस्या होना और इससे सबसे बड़ी समस्या है किडनी का खराब होना और मेरे साथ यही हुआ।
मेरी जिंदगी एक दम सही चल रही थी लेकिन मुझे अचानक से कई परेशनियों ने घेर
लिया। मुझे एक दम से कही तेज़ बुखार चढ़ गया था जिसके लिए मैंने दवा ले ली थी, लेकिन
मेरा बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा था, इसके साथ ही मुझे काफी उल्टियां भी आनी
शुरू हो गई थी। मैं अब इन सबके लिए घर से ही दवाएं ले रही थी, मुझे मेरी मम्मी
तरह-तरह की जड़ी बूटियां दे रही थी, जिसमे मुझे कुछ टाइम के लिए आराम तो मिल रहा
था, लेकिन मैं एक दम से सही नहीं हो पा रही थी। कुछ दिनों बाद मेरा बुखार हो गया
था, लेकिन इसके साथ-साथ मेरे पैरों में सूजन आ गई थी, जिसको देख कर मेरे सभी घर
वाले काफी चिंतित हो गये थे। फिर एक रात फैसला लिया गया कि मुझे अब बड़े हॉस्पिटल
में दिखाया जाएगा।
हम अगले ही दिन हॉस्पिटल चले गये, जहाँ पर मेरी सारी जांच की गई और मेरी हालत
को देखते हुए डॉक्टर ने मुझे पहले से ही कुछ दवाएं दे दी थी। डॉक्टर को जब पता चला
की मुझे मधुमेह है तो उन्होंने पहले ही कह दिया था कि मेरी किडनी खराब हो सकती है
और जो जो समस्याएँ मेरे साथ हो रही थी वो सब किडनी खराब होने लक्षण है। उन्होंने
मुझे जो जांच करवाने को कहा था मैंने उसी दिन तक़रीबन सारी करा ली थी, क्योंकि यहाँ
पर टेस्ट की रिपोर्ट्स आने में काफी टाइम लगता हैं। टेस्ट करवाते हुए हमसे कहा गया
था कि एक हफ्ते में सारी रेपोट्स आ जाएगी, लेकिन रिपोर्ट्स आने में करीब एक माह तक
का समय लग गया था। जिसके कारण मेरा इलाज शुरू नहीं हो पा रहा था और मेरी तबियत और
ज्यादा खराब होती जा रही थी। जब भी हम रिपोर्ट्स के बारे में पूछते तो हमसे कहा
जाता कि अभी एक दो दिन में आपकी सारी रिपोर्ट्स आ जाएंगी।
आखिर कार मेरी रिपोर्ट्स आई तो पता चला की मेरी एक किडनी काफी खराब हो चुकी
है, जिसके कारण से ही मुझे ये सारी दिक्कते हो रही है। डॉक्टर ने मुझसे कहा कि
मुझे अभी से ही डायलिसिस करवाने की जरूरत है, नहीं तो मेरी मौत भी हो सकती है।
लेकिन मुझे एलोपैथी में शुरुआत से ही कोई खास विश्वास नहीं था, लेकिन मेरे सामने
इसके अलावा दूसरा कोई चारा भी नहीं था क्योंकी मेरी तबियत काफी खराब हो जा रही थी
और मेरा शुगर लेवल भी काफी बढ़ चूका था। मैंने डायलिसिस के लिए ना होते हुए भी हाँ
भर दी।
मुझे उसी समय हॉस्पिटल में एडमिट होने को कहा गया औ अगले ही दिन से मेरा
डायलिसिस होना शुरू हो गया। इससे पहले मुझे डायलिसिस के बारे में कुछ भी नहीं पता,
लेकिन मुझे पहले डायलिसिस के बाद पता चल गया की ये कितना पीड़ादायक होता है। अगली
बार जब मुझे डायलिसिस के लिए कहा गया तो मैंने एक दम मना कर दिया, लेकिन मुझे
समझाया गया तो मैं राज़ी हो गयी। हर बार जब भी डायलिसिस होता मैं ऐसे ही मना करती
और वो सभी मुझे समझाते ओर मुझे उनकी बात ना चाहते हुए भी माननी पड़ती। एक दिन मैं
अपने घर में आराम कर रही थी मेरे एक दूर के रिश्तेदार हमसे मिलने आए, उनको अब तक
इस बारे में नहीं पता था कि मेरी किडनी खराब हो गई है।
उनको जब इस बारे में पता चल तो उन्होंने मुझसे पुचा कि दवाएं कहा से चल रही
है, तो मैंने उनको बताया कि हर हफ्ते दो बार डायलिसिस होता हिया उर दवाएं भी चल
रही है। उनको ये सब जान कर बहुत अजीव लगा, क्योंकि हम शुरुआत से ही आयुर्वेद में
ही विश्वास करते हैं तो हम एलोपैथी के लिए कैसे राजी हो गये। उन्होंने हमसे कहा कि
आप आयुर्वेदिक दवाएं लो आपको जल्द ही आराम मिल जाएगा और आपको डायलिसिस करवाने की
भी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने हमें बताया कि दिल्ली में एक आयुर्वेदिक
हॉस्पिटल है “कर्मा आयुर्वेदा” जो की किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक उपचार देता
है और वो भी बिना डायलिसिस किये।
उनकी ये बात सुनते ही मेरे अंदर मानों एक नै रौशनी आ गई थी, मैंने अपनी मम्मी
पापा को तुरंत दिल्ली जाने को कहा। हम एक हफ्ते बाद दिल्ली आ गये। मेरे लिए दिल्ली
आना एक सपने की भांति था, क्योंकि मैंने इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था। हम
दिल्ली आते ही कर्मा आयुर्वेदा पहुंचे और वहां पर हमारी मुलाकात डॉ. पुनीत धवन से
हुई। उन्होंने सबसे पहले तो मेरी सारी रिपोर्ट्स देखि और मुझसे मेरी तबियत के बारे
में पूछा। तो मैंने उनको बताया कि मुझे बचपन से ही मधुमेह की समस्या है जो कि मेरे
माता पिता से मुझे मिली है, जिसके कारण मेरी किडनी खराब हुई है। उन्होंने कुछ और
देर मुझसे बहुत से सवाल पूछे और मुझे तीन माह तक दवाएं खाने को कहा।
डॉ. पुनीत धवन ने मुझसे कहा कि आपको मीठा बिलकुल ही नहीं खाना है, क्योंकि
इससे आपकी हालत और ज्यादा खराब होगी। इसके साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने मुझे तीन माह
तक आयुर्वेदिक दवाएं दी और मुझे योग करने की भी सलाह दी। मैंने डॉ. पुनीत धवन की सारी
बात मानी और मैं एक हफ्ते में ही ठीक भी होने लगी थी। लेकिन मैंने उनकी दी हुई सारी
दवाओं को टाइम पर लिया। आज इन बातो को करीब दो साल बीत चुके है, आज मैं एक दम ठीक
हूँ और अपनी मेहनत से एक सरकारी स्कूल में टीचर हूँ। आयुर्वेद शुरुआत से मुझे ठीक
रखते आ रहा था और आखिर में आयुर्वेद ने ही मुझे ठीक किया।