मेरा नाम सूरज है, मैं एक कंपनी में अकाउंटेंट का काम करता हूँ
मेरा नाम सूरज है, मैं एक कंपनी में अकाउंटेंट का काम करता हूँ। मेरा काम ना
केवल पैसों का हिसाब रखना है बल्कि कंपनी का बहुत सा लेखा जोखा भी रखना है। मैं
कंपनी का लेखा जोखा रखने में इतना मशगूल हो गया की अपना ख्याल ही रखना भूल गया और
नतीजा ये हुआ कि मेरी किडनी खराब हो गई। बात यहाँ तक पहुँच चुकी थी की मुझे किडनी
ट्रांसप्लांट के लिए कहा गया। लेकिन एक इन्सान जो मेरी जिंदगी में भगवान की तरह
आया था उसने मेरी किडनी बिना ट्रांसप्लांट के ही ठीक कर दी थी।
मैं घर से दूर चेन्नई में अकेला रहता हूँ, जिसके कारण मुझे हमेशा बाहर ही खाना
खाना पड़ता है। हमेशा बाहर का खाने के चलते मुझे पेट से जुडी कोई न कोई दिक्कत रहती
ही थी, जिसके चलते मुझे बहुत सारी दवाएं खानी पड़ती थी। हमेशा दवाएं खाने के बाद भी
मुझे पेट से जुडी कोई ना कोई दिक्कत रहती
ही थी, जिससे मैं हमेशा ही परेशां रहता था। इसके कारण मुझे हाई ब्लडप्रेशर की
समस्या रहने लगी थी और पेट में एसिड का अमाउंट कुछ ज्यादा ही रहता था।
एक बार मेरे पेट में काफी दर्द हो रहा था, उस दर्द को मैं सहन नहीं कर पा रहा
था। उस दर्द के कारण मुझे तेज़ बुखार भी हो गया था, मेरी हालत इतनी खराब हो गई थी
कि मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा था। वहां पर मेरे बहुत से टेस्ट हुए, जिसमे एक
ऐसी बात सामने निकल कर आई जिस पर यकीन कर पाना बहुत ही मुश्किल था। रिपोर्ट में
आया था कि मेरी एक किडनी काफी खराब हो चुकी है और मुझे जल्द से जल्द किडनी
ट्रांसप्लांट की जरूरत है।
डॉक्टर ने जब मुझसे कहा कि आपको तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है तो मैं
ये सुन कर चौंक गया था, क्योंकि उन्होंने बड़े आराम से ये बात बोल दी थी, लेकिन
मेरे लिए ये बात काफी बड़ी थी। क्योंकि मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि मुझे किडनी
देगा कौन? मेरा कोई ऐसा दोस्त या रिश्तेदार नहीं था जो कि मुझे अपनी किडनी दे सके,
मेरे मम्मी पापा दोनों की उम्र काफी हो चुकी थी जिसके कारण डॉक्टर ने उनकी किडनी
लेने से मना कर दी और उस समय मेरी पत्नी मुझे किडनी देने में असमर्थ थी।
डॉक्टर ने इस दौरान मेरा डायलिसिस करना शुरू कर दिया था, हफ्ते में दो से तीन
बार मुझे डायलिसिस करवाना पड़ता था। इस बीच मुझे ये भी पता चल गया था कि मेरी किडनी
खराब होने के पीछे असल कारण क्या था। रिपोर्ट्स के अनुसार बाहर का ज्यादा खाने के
कारण मेरे पेट में एसिड की मात्रा ज्यादा हो गई थी जिसकी वजह से किडनी पर
नकारात्मक प्रभाव पड़ा और मेरी किडनी जल्दी-जल्दी खराब होना शुरू हो गई थी, जिसे
ठीक करना बहुत ही मुश्किल था। मुझे इस बारे में समझ आ चूका था कि मुझे कहीं से भी
किडनी नहीं मिलने वाली थी, अगर मिलती भी तो उसमे काफी खर्च लगने वाला था।
लेकिन इश्वर ने मेरे लिए कुछ और ही सोच कर रखा हुआ था, एक दिन जब मैं हॉस्पिटल
में अपने बैड पर आराम कर रहा था तो डॉक्टर मेरे पास आए तो उन्होंने मुझसे कुछ कहा
जिससे मुझे लगा कि शायद मैं बाख सकता हूँ। डॉक्टर ने मुझसे कहा कि सूरज आप
आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ले कर क्यों नहीं देखते, क्या पता आप ठीक ही हो जाओ? उन्होंने
मुझे आगे बताया कि आयुर्वेद से शायद आपको किडनी बदलवाने की कोई जरूरत नहीं होगी,
लेकिन मैं इस बारे में कोई गारंटी नहीं ले सकता की तुम ठीक हो ही जाओगे। मैंने
उनकी बात सुनते ही कहा कि कोई बात नहीं डॉक्टर, वैसे भी मेरे पास ज्यादा समय बचा
नहीं है, मैं ये रिस्क लेने को तैयार हूँ।
डॉक्टर ने फिर भी मुझे कुछ दिन ठीक से सोचने के लिए समय दिया, लेकिन मैं उसी
समय ठान लिया था कि मुझे आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेना है। डॉक्टर ने मुझे बताया कि
दिल्ली में एक आयुर्वेदिक हॉस्पिटल है, जिसका नाम कर्मा आयुर्वेदा है। उन्होंने
आगे कहा, “कर्मा आयुर्वेदा बिना डायलिसिस किये ही खराब हुई किडनी को ठीक करते हैं”।
उन्होंने मुझे कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल का पूरा पता दिया और मुझे हॉस्पिटल से
छुट्टी दे दी, लेकिन साथ में यह भी कहा कि जब भी कोई जरूरत पड़े तुम वापिस हॉस्पिटल
आ सकते हो।
मैं और मेरे पापा अगले ही दिन फ्लाइट से दिल्ली चले गये, वहां जाते ही हम सीधा
कर्मा आयुर्वेदा हॉस्पिटल पहुंचे। वहां पर हम डॉ. पुनीत धवन से मिले, वो उस
आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के निदेशक हैं और एक बड़े आयुर्वेदिक डॉक्टर भी है। डॉ. पुनीत
धवन ने मेरी सारी रिपोर्ट्स को देखते हुए कहा कि आपकी हालत तो बहुत ज्यादा ही
खराब, आप तो डायलिसिस भी करवा रहे हो ना? मैंने उनको बताया कि मैं करीब 2 महीने से
लगातार डायलिसिस करवा रहा हूँ, हफ्ते में तकरीबन दो से तीन बार डायलिसिस होता है
लेकिन मुझे फिर भी कोई आराम नहीं मिला।
डॉ. पुनीत धवन ने मुझसे पूछा कि जब बाहर का खाना खाने के बाद जब मेरा पेट खराब
होता था तो मैं उसके लिए क्या करता था तो मैंने उनको बताया कि मैं इसके लिए इनो, लेमन
सोडा जैसी चीजे लेता था और दिक्कत जयादा बढ़ने पर दवाएं। उन्होंने मुझसे कहा कि कभी
योग भी तरी कर लेते या खाने पर थोडा ध्यान दिया होता तो आज ये समस्या नहीं आती,
खैर आप ठीक हो जाएंगे लेकिन आपको तकरीबन 4 महीने के लिए दवाएं लेनी होगी। मैंने
उनसे पुछा कि अब डायलिसिस की जरूरत तो नहीं है और किडनी ट्रांसप्लांट? डॉ. पुनीत
धवन ने कहा, “नहीं नहीं अब आपको डायलिसिस की कोई जरूरत नहीं है और किडनी
टट्रांसप्लांट क्या होता है?
उन्होंने मुझे चार महीने तक दवाएं लेने को कहा और मुझे एक स्ट्रीक डाइट प्लान
भी दिया, जिसमे पानी पीने की मात्रा, टाइम और खाने की मात्रा भी लिखी हुई थी। इसके
अलावा डॉ. पुनीत धवन ने मुझे योग करने को कहा। मैंने उनकी दी हुई दवा जैसे ही शुरू
कि मुझे मेरी तबियत में काफी सुधार नज़र आने लगा, मेरे पैरों में सूजन कम होने लगे
और मेरा बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर भी काफी कम हो गया था। इसके अलावा मुझे अब भूख भी लगने
लगी थी, अब मैं ठीक से खाना खा रहा था और योग करने की वजह से मैं अब काफी फुर्तीला
भी महसूस कर रहा था। एक बार तो ऐसा लगा कि मुझे अब और दवाएं लेने की कोई जरूरत
नहीं है, लेकिन मैंने पूरे चार महीने तक आयुर्वेदिक दवाएं ली।
जब मैं पूरी तरह ठेक हो
गया तो मैं उस डॉक्टर को अपनी सारी रिपोर्ट्स दिखाने गया जिन्होंने मुझे डॉ. पुनीत
धवन के बारे बताया था और किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कहा था, वो मुझे देखते ही चौंक
गया था। क्योंकि अब मैं एक दम ठीक हो गया था और पहले से ज्यादा स्वस्थ दिख रहा था।
उन्होंने मुझे देखते ही कहा, “सच में आयुर्वेद नें तो चमत्कार कर दिया”। अगर मैं
कर्मा आयुर्वेदा नहीं गया होता तो शायद आज मैं जिन्दा नहीं होता और आपको अपने बारे
में नहीं बता पता, वैसे तो इन बातो को करीब चार साल बीत चुके हैं लेकिन ऐसा लगता
है जैसे कल की ही बात है।creatinine treatment in ayurveda