किडनी के लिए हानिकारक है स्टारफ्रूट
विदेशी मूल का फल, स्टारफ्रूट कई पौष्टिक तत्वों
से भरपूर होता है। यह एक उष्णकटिबंधीय (Tropical) फल है जो लगभग पूरे दक्षिण एशिया में उगाया
जाता है। भारत में इसकी खेती हाल ही में शुरू हुई है। स्टारफ्रूट को हिंदी में
कमरख कहा जाता है।यह काटने के बाद स्टार की तरह दिखाई देता है, इसी कारण इसे
स्टारफ्रूट का नाम दिया गया है।यह पकने के बाद
हल्के पीले या हल्के हरे रंग का हो सकता है और यह स्वाद में खट्टा, कड़वा और मीठा
होता है।
स्टारफ्रूट के पोषक तत्व :-
स्टारफ्रूट जितना खाने में स्वादिष्ट होता है
उतना ही पौष्टिक गुणों से भरा हुआ होता है।इसके अंदर कैलोरी ना के बराबर होती है,
लेकिन फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। स्टारफ्रूट में विटामिन ए, विटामिन बी के
साथ-साथ विटामिन सी प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अलावा इसमें ज़िंक, कैल्शियम,
मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, आयरन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। स्टारफ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट पॉलीफेनोलिक यौगिक भी तत्व
मिलते हैं, जैसे कि क्वार्सेटिन (quercetin),
एपीक्टचिन (epicatechin) और गैलिक एसिड (gallic acid) , यह सभी यौगिक
तत्व उच्च मात्रा में होते हैं।
किडनी रोग में स्टारफ्रूट का सेवन :-
स्टारफ्रूट भले ही कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर
होता है लेकिन यह किडनी रोगी के लिए हानिकारक होता है।किडनी रोगी को स्टारफ्रूट का
सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस फल में न्यूरोटॉक्सिन नामक एक खास विषैला तत्व पाया जाता है। स्वस्थ किडनी
न्यूरोटॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालने में समर्थ होती है, लेकिन किडनी खराब होने
के बाद वह टॉक्सिन को फिल्टर नहीं नहीं कर पाती। यह विषैला तत्व ना केवल किडनी
बल्कि मस्तिष्क से जुड़ी बिमारियों का भी कारण बन सकता है।
स्टारफ्रूट
निम्नलिखित कारणों के चलते किडनी के लिए हानिकारक है -
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स्टारफ्रूट में
कैरामबॉक्सिन नामक एक न्यूरोटॉक्सिनपाया जाता है, यह तत्व किडनी की बीमारी को और
बढ़ा सकता है।
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स्टार फ्रूट में
सोडियम की मात्रा अधिक होती है। सोडियम उच्च रक्तचाप की समस्या को बढ़ा देता है।
उच्च रक्तचाप की समस्या किडनी पर दबाव डालती है, जिससे किडनी खराब होने का खतरा
रहता है। अगर आप मधुमेह के रोगी हैं, तो
आपको इस फल का सेवन नहीं करना चाहिए।
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स्टारफ्रूट में
उच्च मात्रा में ओक्सालिक एसिड मिलता है। यह एसिड किडनी के लिए हानिकारक होता है।
साथ ही ओक्सालिक एसिड नेफ्रोपेथी की बीमारी का खतरा बढ़ा देता है।
·
अगर आप क्रोनिक
किडनी डिजीज के स्टेज 3 या 5 के रोगी हैं, तो आपको स्टारफ्रूट का सेवन बिल्कुलनहीं
करना चाहिए। इसके विषाक्त तत्व किडनी खराब कर सकते हैं।
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स्टारफ्रूटमें
ऑक्सालेट क्रिस्टल होते हैं जो कि आपकी किडनी में स्टोन के बनने का कारण बन सकते
हैं। इसलिए अगर आप किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपको इस फल का सेवन नहीं
करना चाहिए।
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शरीर में न्यूरोटॉक्सिन की मात्रा अधिक होने के कारण
मृत्यु भी हो सकती है।
शरीर में
न्यूरोटॉक्सिन होने के निम्नलिखित लक्षण है -
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लगातार हिचकियाँ
आना
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मानसिक भ्रम की
स्थिति
·
शरीर में जकड़न
महसूस होना
किडनी खराब होने के लक्षण :-
किडनी फेल्योर की बीमारी
ना केवल जानलेवा होती है बल्कि यह रोगी के जीवन के साथ-साथ उसके परिवार पर भी एक
नकारात्मक प्रभाव छोड़ती है। किडनी खराब होने के दौरान रोगी के शरीर में निम्नलिखित
लक्षण दखाई देते है -
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थकान और कमजोरी
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बार-बार पेशाब
लगना
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पीठ में नीचे की
तरफ दर्द
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भूख ना लगना
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पेशाब करते वक्त
दर्द
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सूजन (खासकर
चेहरे और पैरों में)
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उल्टी और उबकाई
आना
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खुजली और पूरे
शरीर पर रैशेज
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
:-
आयुर्वेद की मदद से किडनी
फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस
रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी
से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया
जाता है। आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से निदान पाया जा
सकता है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए
"किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा
आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर
रहा है।
वैसे तो आपके आस-पास भी
काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेदा ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ
रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी।
वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन
ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर
में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद
में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई
साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से
भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी
ट्रांसप्लांट के बिना।