मेरा नाम विशाल है और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ।
मेरा नाम विशाल है और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ। इस शहर में
लोगों की जिंदगी कब बदल जाये, कौन जनता है? मैं तो यही का रहने वाला
हूँ और मेरे साथ कभी ऐसा होगा, मैंने कभी भी नहीं सोचा था।
मैं अपनी ग्रेजुएशन के फाइनल इयर में
था, जब अचानक से बुखार हुआ और साथ ही शरीर में थकान रहने लगी थी। एक हफ्ते तक
मेरा बुखार ठीक ही नहीं हुआ था और फिर मेरे पेशाब से खून आने लग गया। मैं और मेरे
घर वाले बहुत घबरा गए थे, बिना वक़्त गवाए हॉस्पिटल गए, कुछ टेस्ट के बाद पता चला
कि मेरी किडनी सही से काम नहीं कर पा रही है। मैं अभी सिर्फ 21 साल का ही था और
मेरे लिए इस बारे में जानना बहुत बड़ी बात थी कि मेरी जिंदगी शुरू होने से पहले से
खत्म होने वाली थी।
मैंने किडनी खराब होने के कई केस सुने थे, जहाँ लोगों को
डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट जैसे पेनफुल ट्रीटमेंट से गुज़रना पड़ता है। मैं
बहुत ज्यादा डर गया था कि अब क्या होगा? मैंने अपने मम्मी-पापा की हालत समझ सकता था
क्योंकि मैं उनकी एक लोती औलाद हूँ। मेरी मम्मी वही बैठे-बैठे रोने लग गयी थी और
मैं एक दम सहम गया था, लेकिन मेरे पापा ने खुद को समझते हुए डॉक्टर से अकेले में
बात करने गए।
जब वो वापिस आए तो चेहरे पर एक झूटी मुस्कान थी और हमसे आकर
कहा कि सब ठीक है, फिर घर के लिए निकल गए। हॉस्पिटल से घर तक के सफ़र में मेरे मन
में कई सवाल चल रहे थे और उनके जवाब के लिए यूट्यूब देखने लग गया था। किडनी खराब
होने पर इलाज के लिए आयुर्वेद को सबसे अच्छा माना जा रहा था तो मैंने आयुर्वेद से
इलाज करने वालों के बारे में जानना चाह तो मेरे सामने कर्मा आयुर्वेदा का आप्शन
नज़र आया। जब तक मेरी कर्मा आयुर्वेदा के बारे में रिसर्च पूरी हुई, तब तक हम घर पहुँच
चुके थे। मैंने घर पर आते ही मम्मी-पापा से इस बारे में बात की और उनकी यूट्यूब वीडियो
दिखाई। मेरे पापा के चेहरे पर एक जो घबराहट दिख रही थी वो धीरे-धीरे जाने लग गयी
थी और उन्होंने 3-4 विडियो के बाद ही फ़ोन करके कुछ सवाल किए। उसके बाद दिल्ली की
टिकट्स को बुक किया और फिर दोबारा कर्मा आयुर्वेदा में फोन करके 2 दिन बाद की
अपॉइंटमेंट ली।
मेरी रिसर्च रुकी नहीं थी और मेरे सवालों की लिस्ट बढ़ती जा रही
थी। जब 2 दिन बाद मैं डॉक्टर पुनीत धवन के सामने बैठे था, तब लम्बी सांस ली और अपने
सारे सवालों की झड़ी लग दी। वो थोडा-सा मुस्कराए और मेरे हर सवाल का जवाब दिया और
कहा कि परेशान मत हो। रिपोर्ट को हाथ में उठाते हुए, उन्होंने बोला की “किडनी की
समस्या शुरू हुई है, तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे”। उनकी आवाज़ में एक पोसितिविटी थी, जिससे मेरे और मेरे
परिवार के अंदर एक हिम्मत सी आ गयी थी। मेरा फैसला गलत नहीं था और मेरी इस हालत का
जिम्मेदार मैं खुद था।
मेरे माता-पिता को बाहर भेजकर उन्होंने मुझसे कई सवाल किए, जिनका जवाब मेरी बीमारी
से जुड़ा था इसलिए उन्होंने मुझे सब कुछ सच कहने को कहा था। उन्होंने बोला कि
तुम्हरा देर से सोना, सही समय पर खाना न खाना, पानी का कम सेवन और
स्मोकिंग की आदत की वजह से मेरी किडनी पर काफी समय से बुरा असर पड़ रहा था और यही
वजह है की मेरी किडनी सही से काम नहीं कर पा रही। उन्होंने मेरी आदतों को सुधारने
की सलाह दी और कहा पूरे ट्रीटमेंट के दौरान स्मोकिंग नहीं करनी और न ही दोबारा इस
आदत को लाइफस्टाइल का पार्ट बनना है।
मैंने उनकी हर बात को माना और ट्रीटमेंट शुरू कर दिया।
उन्होंने मेरे फाइनल इयर के एग्जाम भी ना ख़राब हो, एक महीने की दवाई दी और डाइट चार्ट
के साथ कुछ योगासन करने की सलाह दी, जिससे बेहतर रिजल्ट मिलें। मैंने उनकी सारी बात
मानी और सारी दवाई को समय से लिया, उनके दिए हुए डाइट चार्ट को फॉलो किया और रोज़
सुबह-शाम योगासन किए। जब एक महीने के बाद उनके पास टेस्ट रिपोर्ट लेकर पहुंचे तो
उन्होंने बताया कि मैं हर तरह से स्वस्थ हूँ।
मैं और मेरे माता-पिता बहुत हैरान हुए, सिर्फ एक महीने में
ही मेरा क्रिएटिनिन लेवल 2.5 mg/dl से 0.9 mg/dl हो गया था, जो एक समान्य लेवल होता है। साथ ही दवाई की शुरुआत के एक ही
हफ्ते में यूरिन से खून आना और बुखार जैसी सभी प्रॉब्लम ठीक हो चुकी थी। मैं बहुत
खुश था और अपनी नई लाइफ को हेअलथी रखने के लिए मैंने उनसे कुछ टिप्स ली और घर
वापिस आ गए। मेरे लिए मेरी समस्या का इतनी जल्दी ठीक हो जाना एक चमत्कार से कम
नहीं है और सिर्फ आयुर्वेदिक दवाईयों की मदद से डॉक्टर पुनीत धवन ने, ये मुमकिन कर दिखाया।